Meena's Diary
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बुधवार, 6 जनवरी 2016
बन्धन
यह बन्धन ही मुझको प्रियकर
निष्कृति जीवन गति रुक जाना
प्रियतम तुम्हारे बन्धन में
सुख मिलता मुझको मनमाना
चिर बन्धन ही है अमर मुक्ति
जिसमें धरती आकाश बँधे
बन्धन ही प्रेरक है गति का
इसमें प्राणों के पाश बँधे
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