हम अपने दिल की बात को
क्यों ज़माने भर को बतलायें
मगर अच्छा यही होगा
हम अपना गम छुपा जाएँ
ज़माने ने हवाले कर दिया
हमको बदनसीबी के
अब इसकी मर्जी पर हम है
जहाँ पकड़कर हमको ले जाएँ
कभी बादल बरसते है
कभी आँखे बरसती है
न रोयेंगे छिपाकर
आँसुओं को साथ ले जाएँ
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