यह जीत तुम्हारी हो सकती
पर मेरी तो यह हार नहीं
मै तो अपनी आकुलता से
निज प्रीत निभाया करता हूँ
अपनी इस अंतर ज्वाला से
नित दीप जलाया करता हूँ
तट से मिलने की चाह लिए
लहरें अस्तित्व मिटा देती
शलभों की टोली की टोली
दीपक पर प्राण लुटा देती
मै मृत्यु लिए आलिंगन में
जीवन भी मुझको भार नहीं
यह जीत तुम्हारी हो सकती
पर मेरी तो यह हार नहीं
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