कभी कभी मैं सोचती हूँ
तुम न होते तो क्या होता
न दिल का सुकूँ खोता
न यूँ उदास ये होता
न नज़रों के बोल हम सुनते
न सपने नए रोज़ बुनते
न कभी फूल मुस्काते
न भँवरे ये गुनगुनाते
न चिड़िया ये चहकती
न हवाएँ यूँ बहकती
न घटाएँ आँसू बहाती
न कलियाँ यूँ मुस्काती
न आता मदमस्त वो सावन
न फूलों से महकता गुलशन
न दिल गुलज़ार ये होता
न तुमसे प्यार यूँ होता
न दिल में अरमां होते
न आँख में आँसू होते
न होती हमें बेकरारी
न दिल को होती लाचारी
न कल कल झरने बहते
न हम तुम ऐसे मिलते
न चमन में फूल यूँ खिलते
न खुशियों के पल मिलते
@मीना गुलियानी
तुम न होते तो क्या होता
न दिल का सुकूँ खोता
न यूँ उदास ये होता
न नज़रों के बोल हम सुनते
न सपने नए रोज़ बुनते
न कभी फूल मुस्काते
न भँवरे ये गुनगुनाते
न चिड़िया ये चहकती
न हवाएँ यूँ बहकती
न घटाएँ आँसू बहाती
न कलियाँ यूँ मुस्काती
न आता मदमस्त वो सावन
न फूलों से महकता गुलशन
न दिल गुलज़ार ये होता
न तुमसे प्यार यूँ होता
न दिल में अरमां होते
न आँख में आँसू होते
न होती हमें बेकरारी
न दिल को होती लाचारी
न कल कल झरने बहते
न हम तुम ऐसे मिलते
न चमन में फूल यूँ खिलते
न खुशियों के पल मिलते
@मीना गुलियानी