बोलो तो ज़रा मेरे अन्तर्मन कितना मुझको तड़पाओगे
कब तक मैं जिऊँ चुप रहके कब तक मन को बहलाओगे
हर पीड़ा मुझसे पूछती है ये कलियाँ क्यों मुझसे रूठी हैं
तुम जानते हो इनकी भाषा मेरी तो हिम्मत टूटी है
अब तक तो जिए हम घुट घुट के कितना और सताओगे
मैं भूल गई प्यारे सपने गुम हो गए सब जो थे अपने
मोती की माला बिखर गई जिनमें गूँथे थे हर सपने
अब कैसे गाऊँ गीत नए सुर कैसे तुम सुन पाओगे
न साज बजाया जा सकता न गीत कोई दोहरा सकता
अब तुम ही बताओ कैसे अपना दिल मैं बहला सकता
साँसे भी अब थमने को है धड़कन कैसे सुन पाओगे
@मीना गुलियानी
कब तक मैं जिऊँ चुप रहके कब तक मन को बहलाओगे
हर पीड़ा मुझसे पूछती है ये कलियाँ क्यों मुझसे रूठी हैं
तुम जानते हो इनकी भाषा मेरी तो हिम्मत टूटी है
अब तक तो जिए हम घुट घुट के कितना और सताओगे
मैं भूल गई प्यारे सपने गुम हो गए सब जो थे अपने
मोती की माला बिखर गई जिनमें गूँथे थे हर सपने
अब कैसे गाऊँ गीत नए सुर कैसे तुम सुन पाओगे
न साज बजाया जा सकता न गीत कोई दोहरा सकता
अब तुम ही बताओ कैसे अपना दिल मैं बहला सकता
साँसे भी अब थमने को है धड़कन कैसे सुन पाओगे
@मीना गुलियानी
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