गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-172 (Gurudev Ke Bhajan172)




आदमी को अगर आदमी की तरह आदमियत न आये तो वो क्या करे 
मेरे बाबा ने दुनिया में हर चीज़ दी पाने वाला न पाये तो वो क्या करे 

शक्ल दी अक्ल दी दे दिया कुल जहां मुँह दिया मुँह में दे दी है मीठी ज़ुबां 
हर तरीका सलीका दिया आदमी काम ही में न लाये तो वो क्या करे 

दिया सीने में दिल दिल में अरमां दिए और मोहबत के मोती मेहरबाँ दिए 
आदमी को तो वो भूला ही नही आदमी भूल जाये तो वो क्या करे 

जीना चाहा तो जीने को दी जिंदगी मेरे बाबा ने बन्दे को दी बंदगी 
बंदगी बंद कर आदमी आग के खद ही अंगारे खाए तो वो क्या करे 



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गुरुदेव के भजन-171 (Gurudev Ke Bhajan171)




अब तो करदो दया मेरे बाबा तेरे दर पे सवाली खड़े है 
मन में लेके मुरादें है आये झोलियां लेके खाली पड़े है 

तूने कितनों की बिगड़ी बनाई तूने कितनों का भार उठाया 
तूने कितनों  की लाज बचाई तूने कितनों को पार लगाया 
खाली नही जायेगे हम तो सुनलो शरण तुम्हारी पड़े है 

भरते हो तुम हज़ारों के दामन बैठे है हम तो दामन बिछाए 
कभी होगी मेहर तो तुम्हारी कौन हमको ये धीरज बंधाये 
माफ़ करदो न गलती हमारी हाथ जोड़े हम कबसे खड़े है 

हमको एक भरोसा तुम्हारा दूजा जग में न कोई हमारा 
आज मिलके पुकारे है तुमको आके दे दो हमें अब सहारा 
डगमगाने लगी अब ये किश्ती हम तो तेरे सहारे पड़े है 

गर अब न सुनोगे हमारी जग में रुसवाई होगी तुम्हारी 
आये हम तो शरण में तिहारी लाज रखलो ऐ बाबा हमारी 
आज नैया मेरी पार करदो तूने लाखों ही पार करे है 

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गुरुदेव के भजन-170 (Gurudev Ke Bhajan170)




दरबार में मेरे बाबा के दुःख दर्द मिटाये जाते है 
गर्दिश के सताए लोग यहाँ सीने से लगाये जाते है 

ये महफ़िल है मतवालों की हर भक्त यहाँ है मतवाला
 भर भर के जाम इबादत के यहाँ खूब पिलाये जाते है 

जिन भक्तो पर ऐ जगवालो है खास इनायत इस दर की 
उनको ही संदेसा आता है दरबार बुलाये जाते है 

मत घबराओ ऐ जगवालो इस दर पे शीश झुकाने से 
ऐ नादानों इस दर पर तो सर भेंट चढ़ाये जाते है 




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गुरुदेव के भजन-169 (Gurudev Ke Bhajan169)




बीते भजन बिना दिन रात रे तूने जन्म गंवाया बिन बात रे 

काहे को तूने महल बनाया कंचन काया देख लुभाया 
कोड़ी की माया के बदले तूने हीरा जन्म गंवाया 

फूले तेरी जो फुलवारी मोहमाया है ये संसारी 
माया ने कैसे खेल दिखाये सुध बुध तुझको भूली सारी 

सुन्दर काया देख लुभाया यौवन है इक ढलती छाया 
तूने मन का चैन गंवाकर जीवन अपना बोझ बनाया 

माटी का पुतला उसने बनाया जीव को आत्मज्ञान कराया 
लेकिन तूने उसको भुलाकर अपना सुख और चैन गंवाया 

बाबा को अपना मीत बनाले सांस सांस में गीत बनाले 
पार करेँगे भव से वो ही नैया करदे उनके हवाले 



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गुरुदेव के भजन-168 (Gurudev Ke Bhajan168)




याद सताए मोहे दर्शन की , दर्शन की गुरु चरणन की 

कासे कहूँ मै दर्द अपना ,जग है सारा इक सपना 
तुम बिन कौन सुने मन की 

बहुत दिनों के तुम बिछड़े आके दूर करो दुखड़े 
आस लगी गुरु चरणन की 

तुम बिन कौन सहाई है ,विपदा मुझ पर आई है 
भटकाए माया पद धन की 

याचक मांगे भक्ति डेरी,दर पे खड़ी हूँ सवाली  तेरी 
दासी बना लो चरणन की 

सतगुरु दर्श दिखा जाओ ,प्यास को आके मिटा जाओ 
आस पुजा दो मेरे मन की 


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गुरुदेव के भजन-167 (Gurudev Ke Bhajan167)




तू बाबा दीपक मै तेरी ज्योति तू इक हीरा मै हूँ मोती 
तुझ पर न्योछावर दोनों जहाँ अब तुम कहाँ और हम कहाँ 

तू इक सागर मै इक नदिया ,तुम हो सूरज मै किरण का कतरा 
तेरे चरण की धूल हूँ मै बाग़ है  तू और फूल हूँ मै 

तुझसे चमकते चाँद और तारे हम हे तेरे जुगनू सारे 
तू मेरा भगवन ;मै हूँ पुजारी चरणों में तेरे जिंदगी गुजारी 

तुम हो चन्दन मै हूँ पानी जाकी अंग अंग बास समानी 
तू मेरा मोहन मै तेरी राधा तू मेरा मोती मै हूँ धागा 





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गुरुदेव के भजन-166 (Gurudev Ke Bhajan166)





गाड़ी छूट गई तो भाया पैदल चलके आजा 
थाने बाबा जी बुलावे घाटगेट को राजा 

मनवा थारो इत उत डोले काहे न समझावे 
बाबा थारी बात सवारे बिगड़े काज बनावे 
सारी दुनिया छोड़ छाड़ के वाकी शरण में आजा थाने बाबा जी बुलावे घाटगेट को राजा 


झूठ मूठ के बने है नाते मतलब को व्यवहार 
जब लग पैसा रहे गांठ में तब लग रहसी प्यार 
मतलब की दुनिया ने भाया ठोकर मारके आजा थाने बाबा जी बुलावे घाटगेट को राजा 


कैसे जन्म सुफल होवेगा नाम को तू न ध्यावे 
पाप कर्म में तू क्यों अपणा हीरो जन्म गंवावे 
जीवन बीत न जाये ओ भाया जल्दी जल्दी आजा थाने बाबा जी बुलावे घाटगेट को राजा 





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बुधवार, 29 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-165 (Gurudev Ke Bhajan165)




बाबा जी तेरी आस लगाई तू जाने और तेरी खुदाई
 किस्मत ने तो कांटे बिछाए तूने ही नैया पार लगाई 

सुना है तुम हरते दुखड़े सभी के 
,दिल कैसे सम्भले जो वश में किसी के 

माया और मोह ने हमको घेरा 
काटो ये बंधन चौरासी का घेरा 

है टूटा दिल न तू ठोकर लगाना 
शरण में आये हमें अपनाना 

दुनिया ने लूटा हमें दुःख ने घेरा 
बाबा बचाओ सहारा है तेरा 


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गुरुदेव के भजन-164 (Gurudev Ke Bhajan164)




बाबा तेरे चरणों की मुझे धूल जो मिल जाये 
सच कहती हूँ नाथ मेरी किस्मत ही बदल जाये 

दिल तेरा सवाली है झोली मेरी खाली है 
तेरे दर्शन को पाकर कली मन की खिल जाये 

नज़रों से गिराना न जो चाहे सज़ा दे दो 
नज़रों से जो गिर जाये मुश्किल से सम्भल पाये 

इक ये ही तमन्ना है तेरा दर्शन मै पाऊँ 
तुम सामने हो मेरे मेरा दम ही निकल जाये 





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गुरुदेव के भजन-163 (Gurudev Ke Bhajan163)




सखियो नई गावो मंगलाचार जी वधाई होवे 
आया है सोणा दिन वार  जी वधाई होवे

पहली वधाई मेरे सतगुरु नू होवे 
नौबत वज्जण सो सो वार  जी वधाई होवे

दूजी वधाई सारी संगत नू होवे 
जिन्हा ने गाया मंगलाचार  जी वधाई होवे

सौंणा ऐ वेला आया बाबा ने मेला लाया 
सारे मिल बोलण जयजयकार  जी वधाई होवे

बाबा दा रूप वेखो खिड़या अनूप वेखो 
चरणा तो जावा बलिहार  जी वधाई होवे



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गुरुदेव के भजन-162 (Gurudev Ke Bhajan162)




बाबा तू जो संग है फिर मुझे क्या रंज है
 हर दुःख में और ख़ुशी में तू ही अंग संग है 

राजी तेरी रज़ा में चाहे गम दे चाहे खुशियाँ 
पर कभी न तू भुलाना भूले चाहे ये दुनिया 
तेरे हाथ आज सोंपी जीवन पतंग है 

हमको नज़र से अपनी बाबा न तू गिराना 
खाएं कभी जो ठोकर हमको तू फिर उठाना 
तू है नाखुदा तो बाबा हमको क्या रंज है 

जब भी तुझे पुकारूँ बाबा जी जल्दी आना 
नैया फंसी भंवर में बाबा जी आ बचाना 
करो पार मेरा बेड़ा चौरासी का फंद है 



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गुरुदेव के भजन-161 (Gurudev Ke Bhajan161)





बाबा जी तेरे दर्श को कबसे तरसें नयन 
करो कृपा जो बाबा हमपे तो हो जाएं दर्शन 

बाबा जी भूलें हमारी आज माफ़ करो 
है बच्चे तेरे दिल में तो कुछ ख्याल करो 
गले लगाओ हमें तुम तो चैन पाये मन 

खड़े है आज तेरे दर पे कितने दुखियारी 
करो मेहर बाबा जी हरलो विपदा सारी 
बेडा पार करो बाबा कभी न डोले ये मन





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गुरुदेव के भजन-160 (Gurudev Ke Bhajan160)




नाम लूँ मै तेरा हो कृपा जो तेरी , मै पुजारी बनूं चरणों का तेरी 

रात दिन नाम तेरा मेरी जिह्वा पे रहे 
गम का साया भी मुझको न कभी छू सके 
हाथ सिर पे रहे ये इच्छा है मेरी 

चरणों में ही ध्यान मै लगाया करूँ 
बाबा तेरे ही दर्श को मै पाया करूँ 
बसो दिल में मेरे विनती है मेरी 

नित तेरी ही महिमा मै गाया करूँ 
तेरे धाम पे निशदिन आया करूँ 
तेरी कृपा रहे दासी हूँ तेरी 




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मंगलवार, 28 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-159 (Gurudev Ke Bhajan159)




यही है बाबा मेरी आरज़ू तेरा दर्श मै करता रहूँ 
तुम सदा रहो मेरे सामने मै यूँ ही  तुझे देखा करूँ 

मेरे दिल में तेरा निवास हो तू सदा ही मेरे साथ हो
 चाहे  सुख मिले चाहे दुःख मिले पर कभी न तुझसे जुदा रहूँ 

मै तेरा ही बनके रहूँ सदा दिल से मेरे निकले दुआ 
जिऊँ तो सदा तेरी याद में तेरी याद में बाबा मै मरूँ 

इतनी सी है मेरी इल्तज़ा रख हाथ सिर पे मेरे ज़रा 
तेरे चरणों में मेरा ध्यान हो तेरे नाम को ही जपा करूँ 

जब मौत की घड़ी पास हो तब तू ही मेरे पास हो 
तेरी छवि बसी मेरे मन में हो तब मरने से भी न डरू 



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गुरुदेव के भजन-158 (Gurudev Ke Bhajan158)




दिल चाहे दर्श पाना बाबा जी पुकार सुनके 
इक बार चले आना 

दिल मेरा रो रहा है तुझे याद कर रहा है 
आ जाओ जल्दी बाबा तुम देर न लगाना 

दिल दे रहा सदायें लब पे है ये दुआएं 
फरियाद मेरी सुनना मंझधार से बचाना 

डूबा मेरा सफीना मश्किल हुआ है जीना 
नैया तेरे हवाले मुझे पार तुम लगाना 

सबके हो तुम सहारे हम बच्चे है तुम्हारे 
भूलों को माफ़ करके तुम गले हमें लगाना 


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गुरुदेव के भजन-157 (Gurudev Ke Bhajan157)




जग से निराला बाबा का दरबार देखया 
तेरे दर पे सज़दा करता मै संसार देखया 

तेरे दर पे जो भी आता मुँहमांगी मुरादें पाता 
खाली झोली को तुझसे बाबा भ्र्राके जाता 
तेरे दर से लोटा कोई न बेज़ार देखया 

जिस ओर नज़र डाले वहाँ  हो जाएं उजाले 
पीके प्याला नाम का तू झूम ले मतवाले 
अमृत के घूँट पीता मै संसार देखया 

ओ दो जहाँ के वाली झोली है मेरी खाली 
तेरे दर पे बाबा आई बनकर के इक सवाली 
रहमत से भरा तेरा ,मै भंडार देखया 

दरबार तेरा आला संसार से निराला 
तेरे ज्ञान का ये दीपक घर घर करे उजाला 
मेहरों का तेरा बाबा मै भंडार देखया 


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गुरुदेव के भजन-156 (Gurudev Ke Bhajan156)




बाबा ली है शरण जब तेरी  तो डर क्या दुनिया का मेरे बाबा जी 

जब सिर को हथेली पे रखा 
तो दर्शन पा जायेंगे  मेरे बाबा जी 

तुझे भूल से भी न भूलें 
झुकें तेरे कदमों पर  मेरे बाबा जी 

तेरे नाम के सहारे बाबा 
कि तर जाएं सागर से  मेरे बाबा जी 

तूने सबको बाबा तारा 
उबारो हमको भी  मेरे बाबा जी 



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गुरुदेव के भजन-155 (Gurudev Ke Bhajan155)




आ जायेंगे आ जायेंगे जो भी धाम पे तेरे आ जायेंगे 
पा जायेंगे पा जायेंगे मुँह मांगी मुरादें पा जायेंगे 

दर पे खड़े है निहाल करदो , झोली खाली बाबा जी आज भर दो 
दर्शन की भिक्षा को मांगते है हम खुले हाथोँ से बाबा दान करदो 
मांगी मुरादें पायेंगे वो दर्शन को जो आयेंगे 

बाबा हम तेरे सहारे है नादान बच्चे तुम्हारे है 
तार दो न बाबा हमें आज तुम लाखों के काज सवारे है 
करो माफ़ बाबा आज गुस्ताखियाँ आस पुजाकर जायेंगे  



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गुरुदेव के भजन-154 (Gurudev Ke Bhajan154)





मेरा कलया नही लगदा जी मेरे घर आ बाबा 

कुट कुट   बाजरा मै रोटियाँ  पकानिया 
विच पावा देसी घी  मेरे घर आ बाबा 

कोरी कुण्डी विच दही पई रिड़का 
मै रिड़का तू पी  मेरे घर आ बाबा 

चुन चुन कलियां मै हार बणानिया 
तेरे दर्श नू तरसे जी  मेरे घर आ बाबा 

जदो बाबा जी घर चलके आवण 
रूप वेख नही रजदा जी  मेरे घर आ बाबा 



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गुरुदेव के भजन-153 (Gurudev Ke Bhajan153)




बाबा मै हाँ भुलनहार तैनू कहंदे बक्शनहार 
मै ता डोल रह्या मंझधार मैनु तार दे बाबा 
भुला माफ़ कर बाबा 

मै  न मंगदी चांदी सोना मैनु दौलत दा नही रोना 
मै ता पापा नू है धोना  मैनु तार दे बाबा भुला माफ़ कर बाबा 

बाबा तेरी महिमा भारी जगमग जगदी जोत न्यारी
 जावा चरणा तो बलिहारी  मैनु तार दे बाबा भुला माफ़ कर बाबा 

संकट ने है मैनु घेरा बाबा मैनु आसरा तेरा 
;अटक्या पार लगा दे बेडा  मैनु तार दे बाबा भुला माफ़ कर बाबा 

बाबा तुध अागे अरदास सबदे कारज करना रास 
रखना चरणकमल दे पास  मैनु तार दे बाबा भुला माफ़ कर बाबा 




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गुरुदेव के भजन-152 (Gurudev Ke Bhajan152)




मै ता भुलया जग विच आ बाबा घाटगेट वाल्या 
मैनु भुले होए नू रस्ते ला  बाबा घाटगेट वाल्या

तांग मैनु लग रही तेरे दर्श दी ,तेरे दर्श बिन अखियाँ तरस रहीं 
मैनु आके दर्श दिखा  बाबा घाटगेट वाल्या

तेरे बिना बाबा मैनु कोण पूछे आनके सारा जग वैरी मैनु ठोकरा लगाएंगे 
मैनु अपनी शरणी लगा  बाबा घाटगेट वाल्या

मोह वाले जाल विच फसया मै जांणके पाप मै लखा कीते धोखे विच आनके 
मेरा फंदा आके छुड़ा  बाबा घाटगेट वाल्या

अज तक बाबा मेरी सुती तकदीर ऐ आनके बदल मेरे हत्थ दी लकीर ऐ 
मेरे सुते होए भाग जगा  बाबा घाटगेट वाल्या




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गुरुदेव के भजन-151 (Gurudev Ke Bhajan151)




भांवे बोल ते भांवे न बोल , बाबा रख चरणा दे कोल

तेरे दर्श दी प्यासी बुआ तकदी रवा
फेरा पा मेरे घर ता मै हसदी रवा
मेरा दिल जावे बाबा जी न डोल  बाबा रख चरणा दे कोल

मै ता अइयो वर मंगा नाले संगदी रवा
तेरे चरणा दी धूड़ी नित मंगदी रवा
बाबा भर देवी मेरी अज झोल  बाबा रख चरणा दे कोल







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गुरुदेव के भजन-150 (Gurudev Ke Bhajan150)




उड उड जावी कावा भवना ते जाके 
दिल दा हाल सुणाई वे मेरा दिल नइयो लगदा 

कुट कुट चूरिया मै तैनू खवावागी 
हाल तू मेरा जा सुणाई  मेरा दिल नइयो लगदा 

हाल सुनावी कवी दिल मेरा रोवे 
अखा दे अथरू विखाई वे  मेरा दिल नइयो लगदा 

सच्चे मोती दी माला तेरे लई बणावागी 
मेरा सनेहा पहुंचाई वे  मेरा दिल नइयो लगदा 

जदो बाबा जी घर चलके आवण 
देवांगी तैनू मिठाई वे  मेरा दिल नइयो लगदा 


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सोमवार, 27 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-149 (Gurudev Ke Bhajan149)




तेरे दर का भिखारी आया तेरे दर का भिखारी आया

न मांगू मै सोना चांदी 
दर्शन करने आया तेरे दर का भिखारी आया

दर्शन की मुझे भिक्षा दे दो 
झोली फैला के आया तेरे दर का भिखारी आया

प्यासा हूँ तेरे दर्शन का 
प्यास मिटाने आया तेरे दर का भिखारी आया

थोड़ा सा चरणामृत दे दो 
आस पुजाने आया तेरे दर का भिखारी आया

चौरासी का फंदा काटो 
मुक्ति पाने आया तेरे दर का भिखारी आया




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गुरुदेव के भजन-148 (Gurudev Ke Bhajan148)




चिट्ठी बाबा दे भवन तो आई खोल के पढ़ा लै भगता 
बाबा कीती अज तेरी सुणाई  छेती छेती आजा भगता 

अमृत वेला होया सुते मना जाग तू 
जागके जगा ले अपणे सुते होए भाग नू 
तैनू बाबा ने आवाज़ लगाई दर्शन पाले भगता 

भुल बक्शा ले जो वी होए कसूर ने 
बाबा जी बक्श देवन सारे कसूर ने 
बाबा सदा तेरे होवणगे  सहाई भुल बक्शा लै भगता 

ज्ञान तैनू मिलेगा तू कर विश्वास नू 
सिर हत्थ रखण करन पूरी तेरी आस नू 
हुन जगेगा नसीब सुता तेरा सिर  नू झुका लै भगता 


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गुरुदेव के भजन-147 (Gurudev Ke Bhajan147)




 मै ते दर बाबा दे जानां ओए मेरे बाबा ने सनेहा घलया 
ओहदा लख लख  शुक्र मनाना ओए मेरे बाबा ने सनेहा घलया 

जेहड़ा दर एदे आवे झोली भरके लै जावे 
ऐथो खाली न कोई जाँदा ओए   मेरे बाबा ने सनेहा घलया 

एहो मंगदी रवां नाले संगदी  रवा 
तेरे चरणा दा अमृत पाणा ओये  मेरे बाबा ने सनेहा घलया 

बाबा खैर करे झोली सबदी भरे 
ओहदा रज रज दर्शन पाणा ओये  मेरे बाबा ने सनेहा घलया 

पूरी आस करे न निराश करे 
ऐथो मुक्ति दा फल पाणा ओये  मेरे बाबा ने सनेहा घलया 


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गुरुदेव के भजन-146 (Gurudev Ke Bhajan146)




 सतगुरु प्यारे नू हाल सेवक दा कहणा 

याद आवे उस पल दी मैनु 
गुरु चरणा विच बहना 

मुक गया ऐथो दा  दाना पाणी 
उड गई पिंजरे चौ मैना 

संगी साथी मित्र प्यारे 
दूर पया सब तो रहणा 







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गुरुदेव के भजन-145 (Gurudev Ke Bhajan145)




ज़िंदगी तेरे हवाले ऐहसान इतना करदो 
अपनी लगन का मन में बाबा जी रंग भरदो 

मन में तुम्ही बसे हो सांसो में  रम रहे हो
 मेरी धड़कनों के सुर की झंकार बन गए हो 
मेरे सिर पे हाथ रखकर ऐहसान इतना करदो 

अज्ञान ने है लूटा और मोह ने है घेरा
 काटो ये मेरे बंधन चौरासी का ये फेरा 
दुष्कर्मो से बचाकर ऐहसान इतना करदो 

तेरे सिवा जहाँ में कोई नही है अपना 
देखी ये दुनिया सारी जो है एक झूठा सपना 
अंधकार को मिटाकर ऐहसान इतना करदो 


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गुरुदेव के भजन-144 (Gurudev Ke Bhajan144)




बाबा तुम्हारे नाम का दीवाना बन गया हूँ 
मै तो तुम्हारी जोत का परवाना बन गया हूँ 

दिल में तेरी बस गई तस्वीर है मेरी तो बस इक यही जागीर है 
तन मन अपना तुझको अर्पण कर दिया 
सुनलो मेरे जीवन की तहरीर है
सिर को झुकाके कदमों में इंसान बन गया हूँ 

मुझको बस तेरे दर्श की ही प्यास है बिन तेरे दुनिया मेरी उदास है 
तेरा दर्शन पाऊँ तो पाऊँ ख़ुशी 
बिन तेरे वीरान मेरी ज़िंदगी 
फंसके मायाजाल में हैवान बन गया हूँ 

काटो भव बंधन मेरे घबरा गया मोह वाले जाल में जकड़ा गया 
मुझको बस इक तेरी ही तो आस है 
दुनिया वालों ने किया निराश है 
फंसके चौरासी फंद में शैतान बन गया हूँ 


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रविवार, 26 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-143(Gurudev Ke Bhajan143)




बीती भजन बिन तेरी जिंदगानी ,होने को आई खत्म कहानी 

वचन गर्भ में किया उसे भूल गया वादा तोड़ दिया 
बहुत करली तूने ये मनमानी 

पैसे पे गुमान किया नुकसान किया अभिमान किया 
अब न चलेगी चाल पुरानी 

जीवन बेकार किया न भजन किया न सुधार किया 
अब टपकाए आँख से पानी 

डोली में सवार किया नाता तोड़ लिया मुख मोड़ लिया 
जिंदगी की यही रीत पुरानी 


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गुरुदेव के भजन-142(Gurudev Ke Bhajan142)




ये सुबह भी तू है ये  शाम भी तू है 
तू ही फूलों की खुशबू में है तू ही हमारे में 

बाबा हमको ऐसा वर दो चरणो में हम ध्यान लगाये 
भूले न तुमको जीवन भर हम 
मन में प्रेम की जोत जलाये 

भटके न बाबा जीवन की डगर में राहे ये आसां हो जाएं 
अंगुली हमारी थामके बाबा 
आप  हमें चलना सिखलाये 

तेरे प्रेम का दीपक बाबा हमको ये विश्वास दिलाये 
साथ हमारे रहता है तू 
टूटे मन को धीर बंधाये 


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गुरुदेव के भजन-141 (Gurudev Ke Bhajan141)




सतगुरु द्वारे ते - रे मना जाणा - जाणा 

सतगुरु द्वारे साधु जो रहन्दे 
कर देन माफ़ कसूर   रे मना जाणा - जाणा

काहे दा दीपक काहे दी बाती 
काहे दा जल रह्या तेल  रे मना जाणा - जाणा

तन दा है दीपक मन दी बाती 
  प्रेम दा जल रह्या तेल  रे मना जाणा - जाणा 

काहे दी तराजू काहे दा बाट 
काहे दा तुल रह्या तोल रे मना जाणा - जाणा

मन दा तराजू मन दा है बाट 
श्रद्धा दा तुल रह्या तोल रे मना जाणा - जाणा


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गुरुदेव के भजन-140 (Gurudev Ke Bhajan140)




सत्संग दा नज़ारा इक पासे - मेरा सतगुरु प्यारा इक पासे

गंगा ते यमुना इक पासे
बाबा दा द्वारा इक पासे

ब्रह्मा ते विष्णु इक पासे
मेरे गुरा दा द्वारा इक पासे

 राधा ते  गोविन्द इक पासे
 मेरा कमलीवाला इक पासे

सीता ते राम इक पासे
मेरा बाबा प्यारा इक पासे



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शनिवार, 25 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-139 (Gurudev Ke Bhajan139)





गम से हमें बचा ले ओ घाटगेट वाले , करदे ज़रा उजाले  ओ घाटगेट वाले 

पापों की रात काली सच धर्म से है खाली 
दाता सखा न कोई सारा जहाँ सवाली 
दर पर तेरे पड़े है सतगुरु हमें उठा ले 

चेहरा तेरा नूरानी बख्शिश तेरी लासानी 
तू है प्रभु का दर्पण मीठी है तेरी वाणी 
रहमत से अपनी धो दे पापों के दाग काले 

दिल तोड़ न किसी का रोता है दिल किसी का 
तेरे दर्शनों से खाली जीना है रोग जी का 
इसे प्रेम से तू भरदे दिल है तेरे हवाले 



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गुरुदेव के भजन-138 (Gurudev Ke Bhajan138)




मेरे बाबा मेरी बिगड़ी बना दोगे तो क्या होगा 
बड़े दातार हो दर्शन दिखा दोगे तो क्या होगा 

सुकर्मी धर्मधारी तो बहुत तारे है प्रभु तुमने 
किनारे एक पापी को लगा दोगे तो क्या होगा 

दयालु हो ये सुनके मै तुम्हारी शरण अाया हूँ 
मेरे ऊपर  दया अपनी लुटा दोगे तो क्या होगा 

सहायक आप बिन कोई न देखा मैने तो भगवन 
मुझे भी एक दिन सुख का दिखा  दोगे तो क्या होगा 



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गुरुदेव के भजन-137 (Gurudev Ke Bhajan137)




हमें दर पे तुम्हारे आना है  और आकर दर्शन पाना है 
जब लिया है जन्म कुछ किया न धर्म फिर अंत समय पछताना है 

जबसे हमने जन्म लिया तबसे न कोई शुभ कर्म किया 
खाई जो ज़माने की ठोकर पड़ा तेरी शरण में आना है 

उसने जीवन बर्बाद किया जिसने न तुझको याद किया 
जपकर तेरे नाम को हम सबने जीवन को सफल बनाना है 

जो दर पे तुम्हारे आते है मुँह मांगी मुरादें पाते है 
ये चक्र चौरासी वाले से छुटकारा हमको पाना है 




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गुरुदेव के भजन-136 (Gurudev Ke Bhajan136)




घाटगेट वाले मुझे दर्श दिखादे ,नैनो की आके मेरी प्यास बुझा दे

तेरे नाम का बाबा हमें है सहारा
आ जाओ बाबा मेरे तुम्हे है पुकारा
आस पुजादे मेरी बिगड़ी बना दे

दर तेरे आया बाबा बनके भिखारी
 दर्श की भिक्षा दे दो मै हूँ दुखियारी
नैया भंवर में डोले पार करा दे

दिल मेरा नादाँ है इसे समझाना
जोत का तेरी बने परवाना
 नाम की लगन मेरे मन में जगा दे

जीवन को विषयों में मैने गवाया
इक पल भी न तुझको ध्याया
मुक्ति का ज्ञान देके सफल बना दे


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गुरुदेव के भजन-135 (Gurudev Ke Bhajan135)





दीदार करन नू जी करदा इज़हार करन नू जी करदा



सारे जहाँ दे खा खा धक्के पहलो पया पछतावा मै ,
क्यों न आया तेरी शरणी रो रो टकरा खावा मै 
 इज़हार करन नू जी करदा



हुन ता अपणी शरण लगा लै चक्कर चौरासी दे खावा मै 
कटदे कर्मा दी बेड़ी दाता मुड़के न गोते खावा मै 
 इज़हार करन नू जी करदा





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गुरुदेव के भजन-134 (Gurudev Ke Bhajan134)





बाबा तेरा साथ रहे , धूप हो छाया हो , सिर पे ये हाथ रहे 

मुझसे कोई भूल जो हो , तू न खफा कभी हो 
चरणों में बाबा तेरे लगा लूँ मै डेरे 
डोरी सांसो की सदा तेरे हाथ रहे 

मन मेरा डोले न मुँह से कुछ बोले न 
तेरे चरणों में रहे विनती ये तुझसे करे 
दुःख हो सुख हो तू मेरे साथ रहे 

तूने तो बाबा मेरे सबको संवारा है
 पर बता मुझको क्यों मन से बिसारा है 
दर्शन से तेरे बुझती ये प्यास रहे 



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गुरुदेव के भजन-133 (Gurudev Ke Bhajan133)




बाबा जी तेरी दर्श दीवानी जाने  कब तेरा दर्शन होए 

दर्श की प्यासी अखियां बरसे जैसे बदरिया होए 
दिल डूबा है बीच भंवर में पार उतारे कोए 

आवन कह गए अजहू न आये कब देखूँगी तोहे 
बाबा जी मोरे बेग पधारो रैन गवाई रोये 

निशदिन तोरी बाट निहारूँ किस विधि दर्शन होए 
कैसे तुम्हरे दर पर आऊं पंथ बताओ मोहे 

काम क्रोध मद लोभ ने जकड़ा कैसे भावू तोये 
नाथ मेरे भव बंधन काटो पार उतारो मोये 


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गुरुदेव के भजन-132 (Gurudev Ke Bhajan132)




हे महानंद बाबा तेरी शरण में आया हूँ 
मुझ पर भी कृपा करना मै दुःख का सताया हूँ 

तुम सबके स्वामी हो तुम अन्तर्यामी हो 
तुम कष्ट  मिटाते हो दुनिया  को बचाते हो 
तुम बहुत दयालु हो ये सुनकर आया हूँ 

दुखिया यहाँ आता है उम्मीदें लाता है 
गुरु जी की कृपा से सब दुःख मिट जाता है 
तूने सबको उबारा है ये सुनकर आया हूँ 

बाबा तेरी नज़रों में सब एक बराबर है 
मेरा मन ये कहता है सच्चा ये तेरा दर है 
बाबा तेरी ये महिमा मै सुनता आया हूँ 



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गुरुदेव के भजन-131 (Gurudev Ke Bhajan131)




बाबा दूर करो सारे ये गम , चरणो में आपके आये जो हम 

तुझको पुकारें देके सदायें आ जाओ ज़रा 
आंसू की हम तो माला पिरोऊँ 
बहलाये भी न बहले जिया करें क्या हम 

बाबा जी तुम बिन कौन है मेरा तरस खाओ तुम 
तन मन बाबा करती हूँ मै  तेरे ही अर्पण 
हाथ रखो जो सिर पर मेरे तो मिटे सारे गम 

दिल में हमारे बाबा जी आके निवास करो 
दर्शन तेरे हर पल पाये कृपा जो करो 
इसके सिवा कुछ और तुझसे मांगे  हम 


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गुरुदेव के भजन-130 (Gurudev Ke Bhajan130)




मंझधार में है मेरी ये नैया , पार करो ओ मेरे खिवैया 

तुमने ही सबकी बिगड़ी सवारी डूबती नैया पार उतारी 
डोले भंवर में मेरी नैया 

छोड़ तुझे मै किस दर जाऊँ किसको अपनी विपदा सुनाऊँ 
पत राखो मोरी धीर बँधैया 

विपदाओं का जाल है गहरा उबरू कैसे माया का पहरा 
भव से उबारो जीवन की नैया 

मोहमाया ने मुझको है घेरा चक्र चौरासी का ये फेरा 
काटो ये बंधन जग के रचैया 




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गुरुदेव के भजन-129 (Gurudev Ke Bhajan129)




बाबा तुझे पुकारूँ दर्श दिखा जाना 
घर दुखियो के बाबा फेरा लगा जाना 

ऊँचा भवन सुनहरी तेरा मैने लिया आसरा तेरा 
मेरा पार लगाओ बेडा है मुझे सहारा तेरा 
पार लगा जाना घर दुखियो के बाबा फेरा लगा जाना 

तेरे दर पे खड़े सवाली तू करे सबकी रखवाली 
करना मेहर तू बाबा कोई जाये न दर से खाली 
आस पूजा जाना घर दुखियो के बाबा फेरा लगा जाना 


तेरी महिमा है  जग से निराली तू है दो जहां का वाली 
बाबा खोलो अपने खज़ाने भरो झोली सबकी खाली 
दया लुटा जाना घर दुखियो के बाबा फेरा लगा जाना 


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गुरुदेव के भजन-128 (Gurudev Ke Bhajan128)




बाबा जी तेरे दर पर बतलाओ कैसे आये 
दिल डूबा है भंवर में पग कैसे हम उठायें 

बाबा जी दिल में गम के तूफ़ान उठ रहे है 
दुनिया ने गम दिए जो उन्हें कैसे हम बतायें 

अब तो लो सुध हमारी रो रो के आँखे हारी 
तेरे सिवा भी किसको हम दास्ता सुनाये 

गर्दिश भरा समा है आंसू बने ज़ुबां है 
चमकाओ मेरी किस्मत अफ़साना ये सुनाये 

बाबा जी रक्षा करना मेरे सिर पे हाथ धरना 
देखो कदम हमारे हरगिज़ न डगमगाए 


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गुरुदेव के भजन-127 (Gurudev Ke Bhajan127)




बाबा तेरा दर्श क्यों हम पा नही सकते 
आके तेरे दर पे खाली जा नही सकते 

कौन सी है भूल हुआ क्या कसूर है 
बिन दर्श के न लौटना दस्तूर है 
शरण आये है क्षमा क्या पा नही सकते 

आज किस्मत ने किया मज़बूर है 
क्यों किया मुझको नज़र से दूर है 
हम तो टूटा दिल तुझे दिखला नही सकते 

गम का सहना अब हुआ दुश्वार है 
बिन दर्श जीना हुआ बेकार है 
दिल में क्या क्या अरमां है बतला नही सकते 


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गुरुदेव के भजन-126 (Gurudev Ke Bhajan126)





नाम लूँ मै तेरा हो कृपा जो तेरी 
मै पुजारी बनू चरणो का तेरी 

रात दिन नाम तेरा , मेरी जिह्वा पे रहे 
गम का साया भी मुझको न कभी छू सके 
हाथ सिर पे रहे ये इच्छा है मेरी 

चरणो में ही ध्यान मै लगाया करूँ 
बाबा तेरे ही दर्श को मै पाया करूँ 
बसो दिल में मेरे विनती है मेरी 

नित तेरी ही महिमा मै गाया करूँ 
तेरे धाम पे निशदिन आया करूँ 
तेरी कृपा रहे दासी हूँ तेरी 


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गुरुदेव के भजन-125 (Gurudev Ke Bhajan125)




तेरे बिना बाबा जी मै केहड़े दर जावा 
हाल दुःखा वालडा  मै किसनू सुनावा

कर्मा दे भोगा ने दर दर रुलाया 
जिस दर गया उत्थो गया ठुकराया 
मेरे लई मुक गईया सारिया थावाँ 

होके लाचार बाबा तेरे दरबार आया 
अर्जा तू सुनले मेरी अथरू दे हार लाया 
तेरे बिना कोण सुने ठोकरा मै खावा 

मेरे औगुना नू बाबा दिल चौ विसार दे
 बच्चडा तेरा हाँ बाबा मावा वाला प्यार दे 
जग विच मावा ने ठंडिया छावा 




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गुरुदेव के भजन-124 (Gurudev Ke Bhajan124)




आइयाँ संगता द्वारे  तेरे, नाम विच चोला रंग दो  - मेरे बाबा जी 

सच्चे प्रेम दे वेखके नज़ारे 
कि भगतां नू सतसंग दो  मेरे बाबा जी 

उच्चा भवन सुनहरी तेरा 
कि जगमग जोत जगदी  मेरे बाबा जी 

निश्चा वालया दी पल विच बाबा 
तू बिगड़ी सवार देवे  मेरे बाबा जी 

खड़े भक्त द्वारे तेरे 
दर तो मुरादा मंगदे  मेरे बाबा जी 

देवो ज्ञान बाबा जी मुक्ति दा 
ते रहणा नाल अंग संग जी  मेरे बाबा जी 


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गुरुदेव के भजन-123 (Gurudev Ke Bhajan123)




सोच ज़रा मन अब तो करले भजन 
अपनी ज़िंदगी में करले तू थोड़ा सुधार 
जीवन मिले न बार बार 

लाखों जन्मो के बाद में ये तन तूने पाया है 
पर विषयों में डूबके माटी में इसको मिलाया है 
अब तो जी में ठान ले हार ज़रा मान ले 
छोड़ अभिमान को बात मेरी मान ले 

जीवन ये अनमोल है जिसका न कोई मोल रे  
सबकी भलाई करता चल वाणी में अमृत घोल रे 
छोड़ दे दुनिया का डर अब न कर कोई फ़िक्र 
बाबा की शरण में आ चरणों में ही रख नज़र 



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गुरुदेव के भजन-122 (Gurudev Ke Bhajan122)




तेरे दर पे आया हूँ बनके भिखारी  फ़खत चाहता हूँ मै भक्ति तुम्हारी 

बाबा तेरा ही प्यार हो मेरे मन में ,
बीते ये जीवन तेरी ही शरण में 
करूँ पूजा निशदिन मै बनकर पुजारी 

है भूले से भी तेरे द्वारे जो आता 
मिटाते हो दुःख दर्द तनके विधाता 
लाखों की तूने है बिगड़ी संवारी 

नही दिल में ख्वाहिश  कोई और भगवन 
बक्शो मुझे अपनी भक्ति का ही धन 
झोली है मैने दर पे पसारी 

है विनती बाबा जी चरण में  तुम्हारे  
तेरा दास हूँ  मै तेरे ही सहारे 
करो मुझपे रहमत की नज़रे प्यारी 



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शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-121 (Gurudev Ke Bhajan121)




बाबा जी तेरी याद में मनवा है बेचैन 
मुझको तेरे दर्श बिना मिलता नही है चैन 

बाबा जी हर पल घड़ी तेरी याद सताए 
दिन ढलते ही नैन में आँसू भर भर आये 
अब तलक नही आये तुम दिल को नही है चैन 

पल पल देखूँ द्वार मै अब तो तुम आ जाओ 
ध्यान लगाऊँ जब भी मै आँखों में बस जाओ 
सुन लेना पुकार तुम बीते है दिन रैन 

जल्दी दर्श दिखाओ अब दिल को न तरसाओ 
नैया भंवर में डूब रही आकर पार लगाओ 
कष्टों ने घेरा मुझे आओ सुख को देन


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गुरुदेव के भजन-120 (Gurudev Ke Bhajan120)




मेरे मन में बसे महाराज रे पर चैन न आये मै क्या करूँ 
तेरे दर्श को तरसे ये अखियाँ तुम फिर भी न आए मै क्या करूँ 

जब आये है याद तिहारी भूल जाऊँ मै सुध बुध सारी 
दिन रात तेरी पूजा करूँ 

तेरी जन्म जन्म की दासी क्यों रहती हूँ फिर भी उदासी 
तेरी राह सदा देखा करूँ 

कब आओगे मोरे सावरिया कब लोगे मोरी खबरिया 
तेरे नाम को रटती रहूँ 


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गुरुदेव के भजन-119 (Gurudev Ke Bhajan119)




तेरे चरणो की धूली पा जाऊँ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ 
तेरे दर्शन को मै चली आऊँ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ 

हूँ मै बहुत दुखी फिर भी हे नाथ कैसे दर तेरे आऊँ मै 
तेरा ध्यान करूँ पर मन न टिके कैसे सुमिरन कर पाऊँ मै 
तेरी दया के काबिल हो जाऊँ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ 

हे नाथ मेरे बनना न कठोर तुम हीरा हो मै पत्थर हूँ 
मेरी नाव के तुम ही खिवैया हो तुम बिन कैसे वो पार लगे 
मंझधार से मै भी उबर पाऊं ऐसी मेरी तकदीर कहाँ 

मै जीव तेरा हो ब्रह्म तुम्ही फिर क्यों मै तुमसे दूर रहूँ 
हे नाथ मेरे अपनाओ मुझे तेरे चरणो पर मै शीश धरूँ 
तेरी शरण को मै भी पा जाऊँ ऐसी मेरी तकदीर कहाँ 



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गुरुदेव के भजन-118 (Gurudev Ke Bhajan118)




मोरे सतगुरु आये आगनिया भाग उठे जाग बनी जोगनिया 

आज कब की मुरादें पूरी हुई ,जब देखा तुझे मेरी ईद हुई 
आये मेरे जो द्वार पहने फूलों के हार 
आज ख़ुशी मनाये सारी ये दुनिया 

मेरा बरसो का सपना पूरा हुआ  तेरे आने से ये घर आँगन खिला 
आई ख़ुशी की बहार लेके सपने हज़ार 
क्यों न नाचूँ मै होकर बावरिया 

मेरे जीवन के तुम रखवाले हो मेरी बिगड़ी बनाने वाले हो 
मिला तेरा जो साथ ओ अनाथों के नाथ 
तेरे नाम की बन गई जोगनिया 


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गुरुदेव के भजन-117 (Gurudev Ke Bhajan117)





सखी री मेरे सतगुरु मुझसे बोले ,सतगुरु मुझसे बोले 
अबके पूनम की रात को,सत्संग मेरे घर हो  ले 

कैसे कहू मै महिमा उनकी है बड़ी अपरम्पार सखी री 
मन मयूरी बन डोले 

भवन की शोभा है बड़ी न्यारी दर्श को आये है नर नारी 
दिल में उमंगें डोले 

जब वो आये मेरे अंगना पलकें बिछाऊं सजाऊँ अंगना 
इक बार कृपा उनकी हो ले 

सूरत उनकी लगती प्यारी तन मन उनपे जाये वारी 
नैनो की भाषा बोले 



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गुरुदेव के भजन-116 (Gurudev Ke Bhajan116)




हे मेरे गुरु महाराज सुनो तने आज रिझावण आयो हूँ 
युग युग से प्यासे नैना री मै प्यास बुझावण आयो हूँ 

स्वार्थ की इस दुनिया माही मेरा आज सहारो कोई नही 
ले फूटू ई तकदीर मेरो महाराज बणावण आयो हूँ 

तू दीन दुखी को रक्षक है प्रभु दीनदयाल कहावे है 
मै इक दुखियारों बालक हूँ दुःख दूर करावन आयो हूँ 

मै कद से आकर बैठो हूँ बाबा तेरे इन चरणों में 
अब खोलो पलकें अपनी तने आज जगावण आयो हूँ 


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गुरुदेव के भजन-115 (Gurudev Ke Bhajan115)




थारी जय हो मेरे महाराज , वारी जाऊँ चरणा में 
चरणा में बाबा चरणा में 

घाटगेट थारो बण्यो देवरो 
थारे नौबत बाजे द्वार  वारी जाऊँ चरणा में 

भक्त जणा ने करी ध्यावना 
थांसू करी जी बाबा पुकार  वारी जाऊँ चरणा में 

घर घर थारो नाम पूजे छे 
थारी महिमा अपरम्पार  वारी जाऊँ चरणा में 

मै बाबा थारी चाकर जी 
म्हारी भी नैया उबार  वारी जाऊँ चरणा में 



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गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-114 (Gurudev Ke Bhajan114)




बाबा जी मेरी लाज अब तेरे ही हाथ में है 
मेरी नैया की पतवार अब तेरे ही हाथ में है 

सबके दिलों के अरमां तुम ही तो पूरे करते 
सबकी झोलियाँ भी रहमत से अपनी भरते 
मेरे तो तुम खिवैया मंझधार साथ में है 

आए जो दुखिया दर पे आँखों में लेके आंसू 
हर लेते उसके दुःख को और पोंछ देते आंसू 
तेरा ही आसरा है तकदीर तेरे हाथ है 

करुणा दया के बाबा रहते ख़ज़ाने खोले 
करना तू मुझपे कृपा न मेरा मनवा डोले 
तेरे नाम को ध्याऊँ जो करता भव से पार है 



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गुरुदेव के भजन-113 (Gurudev Ke Bhajan113)




हमें तार दे तार दे तार दे रे  -  भव से तार दे 
दर पे तेरे आये बाबा बनके आज सवाली 
भरदो बाबा झोली सबकी कोई न जाये खाली 
हमें तार दे तार दे तार दे रे  -  भव से तार दे 

दर पे सुना जो लोग है आते मन की मुरादें पाते 
खाली झोली भर ले जाते दिल की आस पुजाते 
दिल के खज़ाने खोले बाबा मालोमाल हो जाते 
रोते रोते जो भी आते हँसते हँसते जाते 
हमें तार दे तार दे तार दे रे  -  भव से तार दे 

सकल  सृष्टि के कण कण के क्रम तेरे इशारे पे चलते 
रैन दिवस सूरज ओ चंदा तेरे कहने से हिलते 
तुम सारे जग के मालिक हो जाने ये जग सारा 
तेरा द्वारा बाबा हमको लगता सबसे प्यारा 
हमें तार दे तार दे तार दे रे  -  भव से तार दे 


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गुरुदेव के भजन-112 (Gurudev Ke Bhajan112)




आ जा मेरी तू बिगड़ी हुई बात बना दे , है कौन मेरा तुझ बिन दिल तुझको सदा दे 

नैया मेरी मंझधार में ही डूब रही है किसको पुकारू आज जो ये विपदा पड़ी है ,
आ जा मेरी नैया को किनारे पे लगा दे 

करलो सम्भाल मेरी ओ मेरे खिवैया है तू ही राम रहीम मेरा कृष्ण कन्हैया ,
आ जा मेरी तू बिगड़ी ये तकदीर बना दे 

किस्मत ने दी है ठोकरें आई तेरे द्वारे तेरे चरणों में गिरी हूँ तू दे दे सहारे ,
आ जा मेरे सोये हुए तू भाग्य जगा दे 

संसार है मोहजाल और काँटों ने है घेरा चौरासी के फंदे का बाबा काट दो घेरा ,
आ जा मुझे तू आज हर फंदे से छुड़ा दे 


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गुरुदेव के भजन-111 (Gurudev Ke Bhajan111)




मुझे दर्शन मिल गए है सपने में सोते सोते 
सारे कष्ट टल रहे है प्रभात होते होते 

मिला जब तेरा सहारा मेरे दिल ने ये पुकारा 
पूरे अरमां हो रहे है  प्रभात होते होते

मेरी लाज रखने वाले रहें तेरे दर उजाले 
मेरी आँखे नम हई है  प्रभात होते होते

मिला किश्ती को किनारा मेरा टूटा दिल पुकारा 
शबे गम की कट रही है  प्रभात होते होते

तेरी शान है निराली ओ दो जहाँ के वाली 
भूले रास्ता पा गए हम  प्रभात होते होते



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बुधवार, 22 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-110 (Gurudev Ke Bhajan110)




मेरी नाव तुम्हारे हाथ में है ओ बाबा पार लगा देना 
पापी मन के अंधियारे में इक प्रेम का दीप जला देना 

जीवन तो दिया कुछ करने को पर भूल गया भव झंझट में 
मै एक अभागा राही हूँ तुम मुझको राह दिखा देना 

तुम भक्तों के हितकारी हो करते सबका कल्याण तुम्ही 
मुझ दीन की हालत देख ज़रा मेरे बिगड़े काज बना देना 

मेरे बाबा मै तेरे सहारे हूँ तुम भूल न जाना कहीं मुझको 
आकर तुम मनमंदिर में मेरे इक प्रेम का दीप जला देना 

तुम जगतारण जगदाता हो मै तेरा ही इक बालक हूँ 
इस दास के दिल के आँगन में इक दया का फूल खिला देना 


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गुरुदेव के भजन-109 (Gurudev Ke Bhajan109)




लगता प्यारा मुझे बाबा जी धाम प्यारा मुझे लगता 
जहाँ लाल झंडे है झूलते भवन न्यारा मुझे लगता 

तेरे भवन की शोभा तो सारे जग से निराली है 
तेरे दरवाजे से कोई जाये न खाली है

बाबा तेरी खुदाई को माने जग सारा है 
हर दीन दुखी को यहाँ मिल जाता सहारा है 

दरबार है बाबा तेरा सारे जग से ऊँचा 
पाई मंज़िल उसने निश्चय लेके जो पहुँचा 

बाबा तेरी ज्योति तो सबका मन हरती है 
भवजाल से मुक्त करे सन्ताप को हरती है 


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गुरुदेव के भजन-108 (Gurudev Ke Bhajan108)




बाबा जी का द्वार है सजा हुआ दरबार है , जो भी दर पर आ जाये हो जाये बेड़ा पार है 

कितना सुन्दर धाम है देखो सारी संगत आई है 
बाबा जी ने दोनों हाथों से खुशियाँ लुटाई है 

दूर दूर से  भक्त प्यारे दर्शन करने आते है 
रोते रोते जो भी आते हँसते हँसते जाते है 

दिल के अरमां होते पूरे निश्चय से जो आ जाये 
मनचाहा वरदान वो मेरे बाबा जी से पा जाये 

हर गम बाबा जी हर लेते दुःख दूर हो जाता है 
दिल का खज़ाना बाबा लुटाते मालोमाल  हो जाता है 

 गुरुपूनम के रोज यहाँ पर हर साल मेला लगता है 
गुरु जी की आशीष को पाकर मुश्किल काम भी सधता है 


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गुरुदेव के भजन-107 (Gurudev Ke Bhajan107)




मै तेरे दर आया तू न ठुकरा ,मै चरणों में पड़ा हूँ तू उठा 
मै भूलूँ तुझे न तू मुझको भुला 

तेरी लगन में मन है मगन मेरा सदा शाम सवेरे 
सदा दिल चाहे गुण तेरे गाउँ दर पे लगालू मै डेरे 
तू स्वामी है मेरा  - मै दासी हूँ तेरी 
ये ज़िंदगी है तेरे हवाले 

दर तेरे आऊँ भजन मै गाउँ भूलूँ कभी न मै तुमको
मनवा है मोर भया दिल है चकोर भया तरसे तेरे दर्श को 
मै तेरी हूँ दासी  - रहूँ क्यों उदासी 
तू हाल मेरे मन का जाने 

दिल में उमंग जागी मन में तरंग जागी नाचूँ मै होके बावरिया 
दिल में बसाई तस्वीर तेरी तू ही है मोरा सांवरिया 
तू है मेरा कृष्णा - मिटा दे तू तृष्णा 
तू नाम का प्याला पिला दे 


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गुरुदेव के भजन-106(Gurudev Ke Bhajan106)




बाबा जी मुझको सहारा तेरा ,बाबा जी मुझको सहारा तेरा
करना कृपा बाबा तू आज मुझ पर दिल न डोले बाबा मेरा

जन्म जन्म से बाबा तेरी दासी बनके रहूॅ
बनो सहाई विपदा पड़ी मै किससे कहूँ
दिल को आज गम ने बाबा घेरा
जाने कब दूर हो ये अँधेरा करना कृपा बाबा तू आज मुझ पर दिल न डोले बाबा मेरा

जाल माया के बाबा बड़े भयानक है
करो कृपा बाबा हम न किसी लायक है
दे दो ज्ञान दूर हो अँधेरा
जीवन में आये अब सवेरा करना कृपा बाबा तू आज मुझ पर दिल न डोले बाबा मेरा

करो क्षमा ओ बाबा गम के है सताए हुए
शरण में ले लो हमें अपनी है घबराये हुए
काटो मायाजाल का ये घेरा
चमक उठे अब नसीब मेरा करना कृपा बाबा तू आज मुझ पर दिल न डोले बाबा मेरा


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गुरुदेव के भजन-105 (Gurudev Ke Bhajan105)




गीत बाबा के गाते रहो चरणों में सिर को झुकाते रहो 
छोड़के जग की मोह ममता ,बाबा की शरण में जाते रहो 

बाबा जी है पालनकर्ता नवजीवन के दाता 
इनका ऋण है सबसे ऊपर सबसे ऊँचा जाता 
इनकी ज्योति जलाते रहो 

ये ही सुख को देने वाले पाप निवारने वाले 
दुष्टो के नाम खपाने वाले भक्त उबारने वाले 
उनकी लगन को लगाते रहो 

जो कोई उसकी जोत  जगाता चौरासी कट जाती 
छोड़ के फंदे पहुँच जाता पा जाता अपनी थाती 
नेह उसी से लगाते रहो 


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गुरुदेव के भजन-104(Gurudev Ke Bhajan104)




छोड़ के जग को है इक दिन जाना , भूल न जाना बन्दे भूल न जाना 

ये तो है इक रैन बसेरा किसका रहा है सदा बसेरा 
हुआ सवेरा अब उड़के है जाना 

ये तन है मिट्टी का खिलौना माटी से हुआ पैदा उसमें ही मिलना 
मोहमाया में तू मत भरमाना 

झूठी है ये दुनिया सारी है स्वार्थ की प्रीती सारी 
फंस गया तो फिर पड़े पछताना 

भजले बाबा का नाम हे बन्दे जीवन को तू सुधार ले बन्दे 
चौरासी के फंदे में न आना 

भवसागर में मेरी नैया पार उतारो मोरे खिवैया 
बाबा मुझे तुम पार लगाना 


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