तुझको देखने से कभी मन नहीं भरा
मेरी कसम बताओ ये क्या है माज़रा
जिंदगी तो मेरी इक लम्बी सुरंग है
जहाँ पे खड़ा हूँ मै वहीँ कोई सिरा
जाने क्या सोचते रहते हो तन्हा तुम
फिरता अंधेरों में जैसे कोई डरा डरा
सिर छुपाने के लिए कोई जगह चाहिए
यातनाओं से इस दिल का वास्ता पड़ा
गुलशन उजड़ने के बाद भी निशाँ बाकी हैं
कभी हुआ करता था ये चमन हरा भरा
@मीना गुलियानी
मेरी कसम बताओ ये क्या है माज़रा
जिंदगी तो मेरी इक लम्बी सुरंग है
जहाँ पे खड़ा हूँ मै वहीँ कोई सिरा
जाने क्या सोचते रहते हो तन्हा तुम
फिरता अंधेरों में जैसे कोई डरा डरा
सिर छुपाने के लिए कोई जगह चाहिए
यातनाओं से इस दिल का वास्ता पड़ा
गुलशन उजड़ने के बाद भी निशाँ बाकी हैं
कभी हुआ करता था ये चमन हरा भरा
@मीना गुलियानी