मै तुम्हें भूलने की कोशिश में
खुद को कितने करीब पाता हूँ
तू बनके रेल यूँ गुज़रती है
मै बना पुल सा थरथराता हूँ
तेरी आँखों में जब भी मै देखूँ
अपनी राहों को भूल जाता हूँ
रौनके ज़न्नत न रास आई मुझे
जहन्नुम की खुशियाँ भी लुटाता हूँ
बहुत सोचता पर न कहता हूँ
कितने एतराज़ मै उठाता हूँ
@मीना गुलियानी
खुद को कितने करीब पाता हूँ
तू बनके रेल यूँ गुज़रती है
मै बना पुल सा थरथराता हूँ
तेरी आँखों में जब भी मै देखूँ
अपनी राहों को भूल जाता हूँ
रौनके ज़न्नत न रास आई मुझे
जहन्नुम की खुशियाँ भी लुटाता हूँ
बहुत सोचता पर न कहता हूँ
कितने एतराज़ मै उठाता हूँ
@मीना गुलियानी
nice mam
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