जैसे साधक अपने गुरु को करता अपना सब कुछ अर्पण
ऐसे ही तुम अपने देश के हित करदो सर्वस्व समर्पण
दीपक और पतंगे को देखो
चातक और चंदा को देखो
गंगा की धारा को देखो
सबका अनन्य भाव से अर्पण
अर्जुन करे कान्हा से जैसे
राधा करे कृष्ण को जैसे
वंशी करे होंठों से जैसे
सुखद भाव से अर्पण
सीप और मोती के जैसे
शिशुओं का माता से जैसे
बूंदों का बादल को जैसे
होता है अस्तित्व समर्पण
@मीना गुलियानी
ऐसे ही तुम अपने देश के हित करदो सर्वस्व समर्पण
दीपक और पतंगे को देखो
चातक और चंदा को देखो
गंगा की धारा को देखो
सबका अनन्य भाव से अर्पण
अर्जुन करे कान्हा से जैसे
राधा करे कृष्ण को जैसे
वंशी करे होंठों से जैसे
सुखद भाव से अर्पण
सीप और मोती के जैसे
शिशुओं का माता से जैसे
बूंदों का बादल को जैसे
होता है अस्तित्व समर्पण
@मीना गुलियानी
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