वक्त कैसा भी हो वो गुज़र जाएगा
दिन में सूरज उगा शाम को ढल जाएगा
तू क्यों मायूस होता है बशर
इक दिन अहमियत पे उतर आएगा
फितरत बदली है फ़िज़ा ने अभी
ग़म न कर पल ये भी निकल जाएगा
खौफ न कर हौंसला ज़रा तू रख
क़शमक़श में उलझ मत पिछड़ जाएगा
आज़मा किस्मत खिला ये चमन
वक्त गुज़रा गर न फिर लौटकर आएगा
@मीना गुलियानी
दिन में सूरज उगा शाम को ढल जाएगा
तू क्यों मायूस होता है बशर
इक दिन अहमियत पे उतर आएगा
फितरत बदली है फ़िज़ा ने अभी
ग़म न कर पल ये भी निकल जाएगा
खौफ न कर हौंसला ज़रा तू रख
क़शमक़श में उलझ मत पिछड़ जाएगा
आज़मा किस्मत खिला ये चमन
वक्त गुज़रा गर न फिर लौटकर आएगा
@मीना गुलियानी
अति मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर गुड मॉर्निंग मीना जी
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