यहाँ के नज़ारे कितने अजीब हैं
लगता है वक्त ही कमनसीब है
जिंदगी यहाँ की कितनी वीरान है
आती जाती साँसे कितनी ज़रीब हैं
मिलने जुलने के सिलसिले भी खत्म हुए
रफीक थे जो कभी अब बने रकीब हैं
सारे आशियाने हमारे उजड़ से गए
लगता है जिंदगी मौत के करीब है
@मीना गुलियानी
लगता है वक्त ही कमनसीब है
जिंदगी यहाँ की कितनी वीरान है
आती जाती साँसे कितनी ज़रीब हैं
मिलने जुलने के सिलसिले भी खत्म हुए
रफीक थे जो कभी अब बने रकीब हैं
सारे आशियाने हमारे उजड़ से गए
लगता है जिंदगी मौत के करीब है
@मीना गुलियानी
Very nice post
जवाब देंहटाएंJai shree Krishna Good evening