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शनिवार, 1 अप्रैल 2017

माता की भेंट --7

तर्ज --तुझे सूरज कहूँ या चन्दा

मेरी मैया मेरा तुझ बिन दूजा न और सहारा
मेरी नाव भँवर में डोले माँ सूझे नहीँ किनारा

तुम आके पर लगाओ माँ आप ही जान बचाओ
,मुझे पार  करो इस भव से नैया को पार लगाओ
माँ तेरे भरोसे पर ही मैंने जीवन को है गुज़ारा

माँ मैंने यही सुना है तू विपदाओं को मिटाती
माँ सबके दुखड़े हरके रोतों को तू है हँसाती
मेरी भी विनती सुन लो इस जग से मैं तो हारा

तुम अर्ज सुनो माँ मेरी सुनलो मत करना देरी
माँ शेर सवारी करके रखना तू लाज मेरी
तेरा ही सहारा लेकर माँ छोड़ दिया जग सारा
@मीना गुलियानी 

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