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शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

फितरत बदली नहीं जाती

साँस लेना भी जैसे कोई जुर्म है
जिन्दगी ऐसे तो जी नहीँ जाती

एक ठहरा हुआ सफर बन चुका हूँ मै
यह सड़क अब कहीं भी नहीं जाती

ये चाँदनी मुझे रात भर जलाती है
जाने क्यों अपने घर नहीं जाती

तुझे याद करने की आदत सी बन गई
दिल की हसरत निकाली  नहीं जाती

मै दुआओं में तुझको ही हमेशा माँगू
चाहकर भी फितरत बदली नहीं जाती
@मीना गुलियानी 

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