मचल रहा लहरा के झील का पानी
लिखी मैंने खुली किताब में कहानी
मैंने तय किया सफर हवाओं जैसा
सुनाए मौसम गुज़रे पल की कहानी
मेरी गली से गुज़री तुम आज ऐसे
जैसे किसी राजा की तुम हो रानी
पड़े थे कभी अमिया की डाली पे झूले
याद आई कजरारी आँखे सांझ धानी
@मीना गुलियानी
लिखी मैंने खुली किताब में कहानी
मैंने तय किया सफर हवाओं जैसा
सुनाए मौसम गुज़रे पल की कहानी
मेरी गली से गुज़री तुम आज ऐसे
जैसे किसी राजा की तुम हो रानी
पड़े थे कभी अमिया की डाली पे झूले
याद आई कजरारी आँखे सांझ धानी
@मीना गुलियानी
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