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बुधवार, 12 अप्रैल 2017

दीप जलाएँ प्राण का

आओ मिलकर हाथ बढ़ाकर संदेश दें ज्ञान का
मिटाकर अन्धकार हम  दीप जलाएँ प्राण का

जब तक चले साँस जीवन में
दीपक यूँ जलता ही रहे
खिले न जब तक मन उपवन
संवेदना से ये  पलता ही रहे
आओ मिलकर सदभावों से
दीप बने मिटाने को अज्ञान का

हर प्राणी जो भटक रहे हैं
सही मार्ग पर लाएँ हम
अंधविश्वास आडंबर के काँटों से
उनको आज बचाएँ हम
जीवन के तम को मिटाकर
नया प्रकाश भरें सद्ज्ञान का
@मीना गुलियानी



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