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मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

माता की भेंट --10

तर्ज़ ----पिछवाड़े बुड्ढा खांसदा 

खोलो ज़रा भवना दा द्वार    ------ माँ 
-जय अम्बे जय अम्बे दीवाने तेरे बोलदे 

तेरियां उडीकां विच अखाँ गइयाँ पक माँ 
कदे ता दयाल होके बच्यां नूँ तक माँ 
करदे हाँ असी इन्तज़ार ---माँ ---जय अम्बे 

बच्यां तों दस ज़रा होया की कसूर माँ 
नोहां नालों मॉस अज होया किवें दूर माँ 
बागाँ कोलों रुसी ऐ बहार ---माँ ---जय अम्बे 

मावां बिना पुत्रां नूँ कोई वी न झलदा 
ताइयों ता जहान सारा बुआ तेरा मलदा 
लावें तू डुबदे नूँ पार ----माँ -----जय अम्बे 

भगतां ने रखियाँ माँ तेरे उते डोरियां 
तकदे ने जिवें तके चन नूँ चकोरियॉ 
दर खड़े पलड़ा पसार --माँ------जय अम्बे 
@मीना गुलियानी 


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