यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

आंखे बंद करता हूँ

मै अनगिनत बातों को सोचता हूँ
शाम को तन्हाई में जब जिंदगी
खामोश महासागर सा सफर करती है
लाल गुलाबी  तन्हा रात की धुन तरह
खूबसूरत यादों के बीच नृत्य करती है
रौशनी की  जगमगाहट बज्म बनती है
नए सपनों में चुपचाप ढल जाती है
तब मेरे पाँव रेत में धंस जाते हैं
गीत बूंदें बनकर होले से बरसते हैं
लगता है कोई यति समाधि में लीन हो
खुद को भूलने के लिए आंखे बंद करता हूँ
@मीना गुलियानी  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें