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गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

मुझको फिर से बहका रही है

एक आवाज़ उस पार से आ रही है
मुझको होले से कुछ समझा रही है

दिन बीता ,शब गई,,मुझको भी सोना है
तेरी तस्वीर गीत गुनगुनाए जा रही है

जिंदगी की नई राह चुन ली थी मैंने
क्यों पुराने एहसास जगाए जा रही है

सूरज ने भी चाँद से जाने क्या कह दिया
रोशनी मुझको फिर से बहका रही है
@मीना गुलियानी

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