मुझसे धूप अठखेलियाँ बहुत करती है
एक छाया सी सीढ़ी उतरती चढ़ती है
दिल में दरारें गहरी पड़ गईं हैं
जैसे ये कोई बंजर धरती है
तुमको छू लेने भर ही सहसा
गुलाबों से ओस जैसे झरती है
तुम मेरा साथ दे दो इन अंधेरों में
एक चिड़िया धमाकों से सिहरती है
आगे निकल गए घिसटते हुए कदम
मूरत संवारने में और भी बिगड़ती है
@मीना गुलियानी
एक छाया सी सीढ़ी उतरती चढ़ती है
दिल में दरारें गहरी पड़ गईं हैं
जैसे ये कोई बंजर धरती है
तुमको छू लेने भर ही सहसा
गुलाबों से ओस जैसे झरती है
तुम मेरा साथ दे दो इन अंधेरों में
एक चिड़िया धमाकों से सिहरती है
आगे निकल गए घिसटते हुए कदम
मूरत संवारने में और भी बिगड़ती है
@मीना गुलियानी
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