ये जीवन इक समरांगण है
हार जीत होती है जीवन में
थक के बैठ न जाना तुम
आगे कदम बढ़ाना तुम
जीवन का आनन्द मिलेगा
जब उतरोगे रण में तुम
बहेगी फिर प्रेम की गंगा
जीवन को महकाओ तुम
बंजर धरती सोना उगले
ऐसी धरा बनाओ तुम
माथे से मेहनत का पसीना
आज अपने बहाओ तुम
छोडो नैराश्य मिटाओ वैमनस्य
जीवन ज्योति जगाओ तुम
@मीना गुलियानी
हार जीत होती है जीवन में
थक के बैठ न जाना तुम
आगे कदम बढ़ाना तुम
जीवन का आनन्द मिलेगा
जब उतरोगे रण में तुम
बहेगी फिर प्रेम की गंगा
जीवन को महकाओ तुम
बंजर धरती सोना उगले
ऐसी धरा बनाओ तुम
माथे से मेहनत का पसीना
आज अपने बहाओ तुम
छोडो नैराश्य मिटाओ वैमनस्य
जीवन ज्योति जगाओ तुम
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें