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शुक्रवार, 2 जून 2017

दिलों में चाहत बनी हुई है

झुकी हैं पलकें खामोश लब हैं दिलों में चाहत बनी हुई है
ये रौशनी भी दिल की सिहरन हालत ऐसी बनी हुई है

वो पास आये तो दूर बैठे , क्या कोई समझे क्या उनसे पूछे
कुछ हमसे बोलो लब ये खोलो ,धड़कन हमारी थमी हुई है

तुमने न सोचा न हमने जाना, क्या क्या सोचेगा ये ज़माना
ज़रा तो मेरे करीब आओ , नज़रें जहाँ की तनी हुईं हैं

चेहरा छिपाते हथेलियों से ,जैसे अंगारे बरस रहे हों
पाँव ज़रा तुम सम्भल के रखना फूलों सी ज़मी हुई है
@मीना  गुलियानी 

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