झुकी हैं पलकें खामोश लब हैं दिलों में चाहत बनी हुई है
ये रौशनी भी दिल की सिहरन हालत ऐसी बनी हुई है
वो पास आये तो दूर बैठे , क्या कोई समझे क्या उनसे पूछे
कुछ हमसे बोलो लब ये खोलो ,धड़कन हमारी थमी हुई है
तुमने न सोचा न हमने जाना, क्या क्या सोचेगा ये ज़माना
ज़रा तो मेरे करीब आओ , नज़रें जहाँ की तनी हुईं हैं
चेहरा छिपाते हथेलियों से ,जैसे अंगारे बरस रहे हों
पाँव ज़रा तुम सम्भल के रखना फूलों सी ज़मी हुई है
@मीना गुलियानी
ये रौशनी भी दिल की सिहरन हालत ऐसी बनी हुई है
वो पास आये तो दूर बैठे , क्या कोई समझे क्या उनसे पूछे
कुछ हमसे बोलो लब ये खोलो ,धड़कन हमारी थमी हुई है
तुमने न सोचा न हमने जाना, क्या क्या सोचेगा ये ज़माना
ज़रा तो मेरे करीब आओ , नज़रें जहाँ की तनी हुईं हैं
चेहरा छिपाते हथेलियों से ,जैसे अंगारे बरस रहे हों
पाँव ज़रा तुम सम्भल के रखना फूलों सी ज़मी हुई है
@मीना गुलियानी
धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं