दुःख का दरिया दूर तक फैला हुआ
बाजुओं की ताकत देख धारे न देख
जंग जीवन की लड़नी पड़ेगी तुझे
हकीकत ये खौफ के मारे न देख
न हो मायूस देख धुंधलका इस कदर
रोज़नों को भी इन दीवारों में देख
चमका ले किस्मत छू ले आसमां तू
घर अँधेरा है तो क्या तारे भी देख
दिल बहला ले मगर इतना न उड़
सम्भल के सपने ज़रा प्यारे तू देख
@मीना गुलियानी
बाजुओं की ताकत देख धारे न देख
जंग जीवन की लड़नी पड़ेगी तुझे
हकीकत ये खौफ के मारे न देख
न हो मायूस देख धुंधलका इस कदर
रोज़नों को भी इन दीवारों में देख
चमका ले किस्मत छू ले आसमां तू
घर अँधेरा है तो क्या तारे भी देख
दिल बहला ले मगर इतना न उड़
सम्भल के सपने ज़रा प्यारे तू देख
@मीना गुलियानी
बहुत सुंदर रचना है (good afternoon)
जवाब देंहटाएंबहुत पसंद आई, यह रचना..अंतिम दो लाइन..यथा,,
जवाब देंहटाएंदिल बहला ले मगर इतना न उड़
सम्भल के सपने ज़रा प्यारे तू देख.
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धन्यवाद, आपको,