आज फिर दिल मेरा उड़ा उड़ा जाता है
खुशियों का लेके पैगाम कोई आता है
हवा में संदली दुपट्टा जब लहराता है
खुशबू से तन मन मेरा महका जाता है
गेसुओं की लटें माथे पे बल खाती हैं
सर्पिणी सी बन हवा में वो लहराती है
तेरे तब्बसुम से चाँद भी शर्मा जाता है
बादलों को भी देखके पसीना आता है
बौछारें बनके वो मुझपे बरस पड़ती हैं
रिमझिम सी टिप टिप बूँदें पड़ती हैं
ऐसा मौका कहाँ रोज़ रोज़ आता है
चले भी आओ अकेले मन घबराता है
@मीना गुलियानी
खुशियों का लेके पैगाम कोई आता है
हवा में संदली दुपट्टा जब लहराता है
खुशबू से तन मन मेरा महका जाता है
गेसुओं की लटें माथे पे बल खाती हैं
सर्पिणी सी बन हवा में वो लहराती है
तेरे तब्बसुम से चाँद भी शर्मा जाता है
बादलों को भी देखके पसीना आता है
बौछारें बनके वो मुझपे बरस पड़ती हैं
रिमझिम सी टिप टिप बूँदें पड़ती हैं
ऐसा मौका कहाँ रोज़ रोज़ आता है
चले भी आओ अकेले मन घबराता है
@मीना गुलियानी
भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...धन्यवाद.
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