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सोमवार, 31 जुलाई 2017

कैसे सपने साकार करूँ

कबसे समाया तू मेरे मन में
कैसे इसका इज़हार करूँ
दुविधा के ऊँचे पर्वत को
कैसे  मैं अब पार करूँ

जीवन के पथ की ये देहरी
हर दम आती यादें तेरी
प्रीत की उलझी भंवरों से
कैसे तुम बिन आज तरूं

तेरे बिना हम हुए अधूरे
मिले तुम सपने हुए पूरे
इक डोरी से दोनों जुड़े
कैसे सपने साकार करूँ
@मीना गुलियानी 

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