तुम्हीं बताओ कैसे जिया जाएगा सनम
इक तरफ जहाँ है और इक तरफ सनम
ऐसे तो घबरा के टूट ही जायेंगे हम
दिल मेरा कहाँ है और तू कहाँ सनम
बीच भंवर में डूबती ही जा रही थी नाव
आये तुम तो डूबते हुए को लिया थाम
लड़खड़ा रहे हैं कदम गिर न जायें हम
आओ तुम्हें पुकारते हैं थाम लो सनम
राहते जा बनके आ गए जिंदगी में तुम
मुस्कुरा दी जिंदगी भी मिल गए जो तुम
अब तो ज़िद अपनी छोड़ो तुमको है कसम
ऐसा न हो कि टूट के बिखर जाएँ हम
@मीना गुलियानी
इक तरफ जहाँ है और इक तरफ सनम
ऐसे तो घबरा के टूट ही जायेंगे हम
दिल मेरा कहाँ है और तू कहाँ सनम
बीच भंवर में डूबती ही जा रही थी नाव
आये तुम तो डूबते हुए को लिया थाम
लड़खड़ा रहे हैं कदम गिर न जायें हम
आओ तुम्हें पुकारते हैं थाम लो सनम
राहते जा बनके आ गए जिंदगी में तुम
मुस्कुरा दी जिंदगी भी मिल गए जो तुम
अब तो ज़िद अपनी छोड़ो तुमको है कसम
ऐसा न हो कि टूट के बिखर जाएँ हम
@मीना गुलियानी
|| Bhavani Ashtakam ||
जवाब देंहटाएंन तातो न माता न बन्धुर्न दाता
न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता ।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥१॥
Na taato na maataa na bandhur-na daataa
Na putro na putrii na bhrityo na bhartaa |
Na jaayaa na vidyaa na vrittiir-mamaiv
Gatis-tvam gatis-tvam tvame-kaa Bhavaanii ||1||
TRANSLITERATION-O MOTHER BHVANI, I HAVE NO FATHER,NO MOTHER,NO BROTHER,NO GIVER,NO WIFE,NO SERVANT,NO MASTER,NO GIVER OF BIRTH,NO EDUCATION OR SKILL,I HAVE NO TENDEBCY OF MINE,YOU ARE MY ONLY RESORT
भवाब्धावपारे महादुःखभीरु
पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः ।
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥२॥
Bhavaabdhaav-paare mahaa-duhkh-bhiiru
Papaat prakaamii pralobhii pramattah |
Ku-sansaar-paash-prabaddhah sadaaham
Gatis-tvam gatis-tvam tvamekaa Bhavaanii ||2||
2 I AM SUBMERSED IN THE UNFATHOMABLE SEA OF THE WORLD. I AM TERRIFIED BY THE GREAT SORROWS. IAM FULL OF LUST, GREEDY, DRUNK OF POWER, AND BOUND IN THE UNDESISRABLE BONDS OF THE WORLD. YOU ARE MY ONLY RESORT
न जानामि दानं
न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम् ।
न जानामि पूजां न च न्यासयोगं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥३॥
Na jaanaamii daanam na cha dhyaan-yogam
Na jaanaamii tantram na cha stotra-mantram |
Na jaanaamii puujaam na cha nyaas-yogam
Gatis-tvam gatis-tvam tvamekaa Bhavaanii ||3||
I DONOT KNOW CHARITY NOR TNTRA NOR VERSES FOR YOUR PRAISE NOR YOUR WORSHIP NOR NYAS YOGA.YOU ARE MY ONLY RESORT
न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थ
न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित् ।
न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्गतिस्त्वं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥४॥
4 TRANSLITERATION-O MOTHER BHVANI, I DONOT KNOW GOOD DEEDS NOR PILGRIMAGE,I DO NOT KNOW SALVAGE AND HARMONY,I DO NOT KNOW YOUR WORSHIP.FASTING-DETERMINATION AFFECTION IN YOUR LOTUS FEET,
O GRANTER OF SHELTER,I SEEK YOUR PROTECTION.YOU ARE MY ONLY RESORT
BHAVANI ASHTAKAM
जवाब देंहटाएंBhavani Ashtakam is a great Sanskrit stotra written by Adi Shankaracharya . Bhavani Ashtakam is addressed to Goddess Bhavani, the ferocious aspect of Hindu Goddess Parvati Devi, the consort of Lord Shiva. Goddess Bhavani is believed to be the “Giver of Life”, the Goddess is also described as Karuna Swaroopini, which means the goddess “Filled with Mercy’. Regular chanting of Bhavani Ashtakam gives peace of mind and keeps away all the evil from your life and makes your healthy , wealthy and prosperous.
|| भवानीष्टकम् ||
bahut sunder rachna.....
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