तू ही मेरे दिल में बसा है
तुझसे ही जग रोशन है
रोम रोम तेरा नाम पुकारे
तू ही अंतर्मन में है
तुझसे ही संगीत है मेरा
तू ही मेरी सरगम है
सांसो की वीणा में है तू
तू ही दिल की धड़कन है
मन की भावना में बसा तू
लहरों में तेरा गान बसा
अस्ताचल की किरणों में तू
तू ही मेरा दर्पण है
मन उपवन का फूल है तू
तुझसे ही ये संसार बसा
हर पल तू नज़रों में समाया
कण कण में स्पंदन है
@मीना गुलियानी
तुझसे ही जग रोशन है
रोम रोम तेरा नाम पुकारे
तू ही अंतर्मन में है
तुझसे ही संगीत है मेरा
तू ही मेरी सरगम है
सांसो की वीणा में है तू
तू ही दिल की धड़कन है
मन की भावना में बसा तू
लहरों में तेरा गान बसा
अस्ताचल की किरणों में तू
तू ही मेरा दर्पण है
मन उपवन का फूल है तू
तुझसे ही ये संसार बसा
हर पल तू नज़रों में समाया
कण कण में स्पंदन है
@मीना गुलियानी
सुंदर स्पंदन!!!
जवाब देंहटाएंरचनात्मक भावनात्मक रचना
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