मुंडेर पे काला कौआ बैठा काँव काँव चिल्लाए
सुनके उसकी काँव काँव को दिल मेरा हुलसाए
शायद आज कोई संदेशा पिया के गाँव से आए
दिल में फिर से हूक उठी सौ सौ तूफ़ान उठाए
करने फिर सिंगार को बैठी दिल में प्रेम जगाए
पिया बिना कछु सूझे नाहीं मन मोरा बौराए
माथे कुमकुम टीका बिछिया पायल भी इतराए
कर सौलह सिंगार सजी मैं पिया की आस लगाए
बार बार उठ द्वार पे जाऊँ नैनन टकटकी लगाए
करूँ मनुहार पवन की जो पिया का संदेशा लाए
@मीना गुलियानी
सुनके उसकी काँव काँव को दिल मेरा हुलसाए
शायद आज कोई संदेशा पिया के गाँव से आए
दिल में फिर से हूक उठी सौ सौ तूफ़ान उठाए
करने फिर सिंगार को बैठी दिल में प्रेम जगाए
पिया बिना कछु सूझे नाहीं मन मोरा बौराए
माथे कुमकुम टीका बिछिया पायल भी इतराए
कर सौलह सिंगार सजी मैं पिया की आस लगाए
बार बार उठ द्वार पे जाऊँ नैनन टकटकी लगाए
करूँ मनुहार पवन की जो पिया का संदेशा लाए
@मीना गुलियानी
सुंदर रचना....
जवाब देंहटाएंसुंदर !!!
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