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सोमवार, 30 सितंबर 2019

सहा न जाए

अब ज़िन्दगी में बची है सिर्फ तन्हाई
मुझे यह डर है कहीं हो न जाए रुसवाई
बिना तुझसे मिले जिया भी न जाए
आँखों ने भी देखो ग़म में आँसू बहाए
दर्द ये दिल का हम अब किसको बताएं
मुझसे अब बिल्कुल भी सहा  न जाए 
@मीना गुलियानी 

मान भी जाओ

आज देश में हर तरफ है पानी
सड़क भी टापू बनी जाने क्या
है दुश्मनी हाहाकार मच रहा
आदमी हुआ लाचार है बेज़ार
पानी अब तू ही बता क्यों खफ़ा
हुई क्या हमसे ऐसी भी ख़ता
जिधर तक भी हमने नज़र डाली
हर तरफ पानी से छाई बदहाली
हरसू प्रलय के ताण्डव का नज़ारा
इन्सान ख़ौफ़ के मंज़र का मारा
कौन संभाले पड़ रहे रोटी के लाले
पहले था जहाँ अकाल और सूखा
आज पानी के कारण है वो भूखा
हे इंद्रदेव अब मत पानी बरसाओ
 त्राहि त्राहि मची मान भी जाओ
@मीना गुलियानी 

रविवार, 29 सितंबर 2019

समझो मुझे

मैंने तुम्हें कितनी बार कहा कि
देखो मुझे जानो और समझो मुझे
 लेकिन तुमने नज़र अंदाज़ किया
हर बार मुझे ही चुप रह जाना पड़ा
पर अब मेरी हालत पर तरस खाओ
मुझे देखो,मुझे जानो ,समझो मुझे
@मीना गुलियानी 

दीवार बन रहे हो

अब क्या है जो तुम मेरा पीछा करते हो
देखो तुम्हारे मेरे रास्ते अब अलग हैं
मैंने अपने दिल की दुनिया बसा ली है
तुम अपने रास्ते चलो मुझे भी जाने दो
तुम भी आगे बढ़ो मुझे भी बढ़ने दो
क्यों तुम मेरे रास्ते की दीवार बन रहे हो
@मीना गुलियानी

तुम साथ रहोगे

ताकि दिल ज़िन्दा रहे तुम मेरे बनके रहो
तुम मेरे रहोगे तभी तो मैं भी जी पाऊँगी
बिन तुम्हारे इक पल भी न रह पाऊँगी
तुम जाओगे तो धड़कन भी रुक जायेगी
दिल ज़िन्दा रहेगा जब तुम साथ रहोगे
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 28 सितंबर 2019

तुम रख लो

दिल तो है अनमोल फिर भी तुम रख लो
कोई दे न पाए इसका मोल तुम रख लो
सबसे छिपाके रख लो सबसे बचाके रख लो
टूट न जाए कहीं दिल में अपने बसाके रख लो
तेरे वादे पे ऐतबार करके दिया दिल तुझको
चुपचाप ज़हर पीके मुस्काये देके इसे तुझको
है ये चाहत की पूँजी बड़ी इसे अब तुम रख लो
@मीना गुलियानी 

सुलझायें कैसे हम

दुःख इस बात का नहीं कि तुम दूर हो
तुम हकीकत से अन्जान हो ये दुःख है
हम वक्त के सितम चुपचाप सहते रहे
तुम कुछ भी न कर पाए बस बैठे रहे
सारी उम्मीदें टूट चुकी संभलें कैसे हम
जिंदगी की उलझनें सुलझायें कैसे हम
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

कहीं डगमगायें

काश इस मंज़र में तुम साथ होते
तो जिंदगी का सफर कट जाता
यूँ तो हर कोई अन्जाना लगता है
तुम्हारा साथ अपना सा लगता है
हर कदम सोचकर हम बढ़ा रहे हैं
मंजिल पे कदम न कहीं डगमगायें
@मीना गुलियानी

गुरुवार, 26 सितंबर 2019

समुन्द्र बनेगी जिंदगी

सब अपनी सूरत को ही संवारते रहते हैं
सीरत की तरफ किसी की नज़र नहीं है
इसलिए धूप  का कतरा बन गई जिंदगी
मुक्ति को भी आज छटपटा रही जिंदगी
जो आत्मचिंतन करेगा संवरेगी जिंदगी
नहीं तो पीड़ा का समुन्द्र बनेगी जिंदगी
@मीना गुलियानी 

धोखा न करेंगे

कुछ सोचकर हम चुप रह गए
 क्योंकि हमारे विचार नहीं मिले
फिर भी तुमसे शिकवा न करेंगे
तुम्हें कभी हम रुसवा न करेंगे
तुमसे कभी भी तकाज़ा न करेंगे
हम कभी तुझसे धोखा न करेंगे
@मीना गुलियानी 

हालात बदलेंगे

मेरी मानो तो हम अपने गाँव चलें
वहाँ जाकर ही हमें सुकून मिलेगा
ग़म तेरे आने से ख़ुशी में बदलेंगे
हम इसपे कायम हैं हालात बदलेंगे
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 25 सितंबर 2019

कोई महत्व नहीं

जब फसलें सूखें जल के बिन
धरती की छाती फट जाए
फिर देर से जब बरसे पानी
उसका फिर कोई महत्व नहीं
@मीना गुलियानी 

जल रहा है

तेरे सिवा मुझे कुछ भाता नहीं
कहाँ तुझे ढूँढूँ नज़र आता नहीं
मेरे दिल में दर्द सा भर रहा है
मेरे दिल में दिया जल रहा है
@मीना गुलियानी 

सबसे छिपाया

जिंदगी के ऐसे हालात हुए
अपने अजनबी जब बन गए
कोई हमदर्द को पास न पाया
अपनी परछाईं को ही अपनाया
उसे ही अपने सुख दुःख का
 साथी बनाया सबसे छिपाया
@मीना गुलियानी 

मेरा लक्ष्य है

अब कोई अँधेरे रास्ते मेरी राह नहीं रोक सकते
मैंने अपने जीवन का लक्ष्य चुन लिया है और
अब इस अन्धकार को भेदकर बाहर आना है
मैं खुद को जानना चाहती हूँ क्या है मेरा अस्तित्व
अब मुक्ति पाना शून्य से उबरना मेरा लक्ष्य है
@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 24 सितंबर 2019

परिवर्तन होता है

 मानव गलती  पुतला कहा  जाता है
उसे पल पल ठोकर भी लगती है
यदि वह ठोकर खाकर सम्भल जाए
तो वह सही मायने में इन्सान है
फिर भी न सम्भले तो उसका जीवन
व्यर्थ में ही बर्बाद हो जाता है
ठोकर से इंसान को सीख मिलती है
उसका ज्ञान बढ़ता है मार्गदर्शन होता है
और उसके जीवन में परिवर्तन होता है
@मीना गुलियानी

  

सोमवार, 23 सितंबर 2019

मौत का साया

इस तंगहाली के दौर में भी
सबका गुज़ारा हो ही रहा है
यह तुम मत पूछो कि कैसे
दिन कटा कैसे सफर कटा
तुम्हारे बिन लम्हे कैसे गुज़रे
जीवन ये हमने कैसे बिताया
लगे जैसे सर पर मौत का साया
@मीना गुलियानी

तय करते गए

सफर पर चलते हमने देखा ही नहीं
कितने निशां बने कदमों के नीचे
कितने ही पहाड़ों को लांघकर आये
कितने ही जंगलों से भी हम गुज़रे
कितनी नदियों के उस पार भी गए
हमारे कदम रुके नहीं बस चलते गए
खुले आसमान के नीचे कदमों के निशां
हम बनाकर चुपचाप मंजिल की ओर
बढ़ते गए सफर अपना तय करते गए
@मीना गुलियानी 

गुनगुनाने लगे

तुमने अच्छा किया चले आये
अच्छा हुआ बुराई से तुम्हारा
दामन छूटा अपनापन मिला
टूटते मन को सहारा मिला
दिल में आशा सी जाग उठी
मन की कली भी खिल उठी
बगिया में फूल मुस्काने लगे
भँवरे मंडराने गुनगुनाने लगे
@मीना गुलियानी

प्रतीक्षा में हूँ

मैं ये अच्छी तरह से जानती हूँ
तुम्हारी हर बात भूलने की अब
आदत सी बन चुकी है कुछ भी
बात जो तुम्हें याद रखनी हो तुम
व्ही सब बातें अक्सर भूल जाते हो
इसी बात पर हमारा वाक् युद्ध प्राय:
होता रहता है जाने कब सुधरोगे
मैं भी उसी दिन की प्रतीक्षा में हूँ
@मीना गुलियानी 

प्रत्युत्तर देती है

सूरज ये समझने की भूल न करना
कि सिर्फ तुममें ही आग है यह
आग तो हर नारी में विद्यमान है जो
वक्त आने पर शोला बन जाती है
नारी परिस्थितियों के अनुसार ही
कभी शोला तो शबनम बन जाती है
जब कोई विपदा उस पर टूटती है तो
ज्वालामुखी सी वो धधक उठती है
जब उसमें करुणा की धार बहती है
वही  नारी तब शबनम बन जाती है
उसको जब कोई ललकारता है तब
नारी उसके अनुरूप प्रत्युत्तर देती है
@मीना गुलियानी 

रविवार, 22 सितंबर 2019

उसे भी जीने दो

माँ बाप बेटी को पाल पोसकर
दिल पर पत्थर रखकर उसे
परायों को सौंप देते हैं उसे ये
शिक्षा देते हैं दोनों घर की लाज
बेटी को ही रखनी पड़ेगी बेटे से
माँ बाप को कोई अपेक्षा नहीं होती
बेटा शादी के बाद पराया हो जाता है
बेटी पराये घर जाकर भी मायके के
बारे में दुःख सुनते ही बागी आती है
बेटा पास होकर भी बेखबर होता है
बेटी को पराया धन मत समझो
उसे भी प्यार दो ,शिक्षा दो ,उसे
स्वावलम्बी बनाओ ताकि समय
आने पर परिवार का ध्यान रखे
खुली हवा में उसे भी जीने दो
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 21 सितंबर 2019

इतने टूट गए

शरारत ज़िन्दगी ने की थी
तुम क्यों इससे रूठ गए
कयामत  हम पे गुज़री थी
तुम क्यों इतने  टूट गए
@मीना गुलियानी 

लक्ष्य को पाना है

मुझे आकाश सा होना है
उड़के बुलंदी को छूना है
परिंदों सा हौंसला बढ़ाना है
परों को भी ऊँचा फैलाना है
 अपने लक्ष्य को पाना है
@मीना गुलियानी 

हमसफर के लिए

जब अँधेरा गहराया सोचना पड़ा रोशनी के लिए
  बेचैनी दिल की बढ़ी सोचना पड़ा साथी के लिए
तूफां जब दिल में उठा तड़पना पड़ा बेखुदी के लिए
सुकूँ दिल का लुटा सोचना पड़ा दिल्लगी के लिए
कारवां मंजिल पे लुटा सोचना पड़ा हमसफर के लिए
@मीना गुलियानी 

सोचा ये हमने

तुम क्या जानो कितने सितम सहे हमने
फिर भी इक उफ़ तक न कभी की हमने
हमको हर ग़म ग़वारा है सह लेंगे ख़ुशी से
होने देंगे न रुसवा तुमको सोचा ये हमने 
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 20 सितंबर 2019

बूँदेँ बरसने लगी हैं

दिल की दुनिया भी जीवन में यूँ  रंग भर रही है
प्रकृति की सुरम्य छटा बसंत में निखर रही है
सरसों के पीले फूल इस बगिया में खिलने लगे हैं
देखो बगिया संवर रही है ख़ुशी दिल में भर रही है
भँवरे मंडराने लगे हैं मधुपान क्र इतराने लगे हैं
लता पेड़ों का लेके सहारा देखो ज़रा तन के खड़ी है
सितारे शर्माने लगे हैं घूँघट में मुखड़ा छिपाने लगे हैं
चँदा ओझल हुआ सूरज की किरणें ज़मी पे पड़ रही हैं
प्रकृति संवरने लगी कुमकुम फूलों से झरने लगी है
संध्या रानी आई उसकी पायलिया छनकने लगी है
कैसे न मोहित हों छटा पर आँखें ख़ुशी से झरने लगी हैं
घटा छाई लेके बिजुरिया रिमझिम बूँदेँ बरसने लगी हैं
@मीना गुलियानी 

गुरुवार, 19 सितंबर 2019

आघात करता है

कभी कभी तो बहुत खालीपन सा लगता है
स्याह रातों में जब वो अजनबी गुज़रता है
आता है दबे पाँव कभी जुम्बिश  करता है
हमारे दिल पर तो एक आघात  करता है
@मीना गुलियानी 

ज़रा मुस्कुराओ

आओ तुम्हें भी ज़िन्दगी बुला रही है
उसकी मुस्कुराने की अदा भा रही है
इक बार तो मुझको झलक दिखाओ
अकेले न घुटते रहो ज़रा मुस्कुराओ
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 18 सितंबर 2019

ख़फ़ा हो गया

न जाने तुम कहाँ खो गए
 दुनिया में तन्हा हो गए
हर जगह तुमको ढूँढा पर
हर निशाँ ही खो सा गया
जहाँ का भी रुख बदल गया
सारा जहाँ जैसे ख़फ़ा हो गया
@मीना गुलियानी 

जो हो मजबूर

जीने के लिए हर रास्ता खुला रखें
ताज़ी हवा को कमरे में आने दें
 ख़ुशी से वक्त का हर पल बिताएँ
मस्ती से झूमें और गुनगुनाएँ
उदासी को रखो खुद से बहुत दूर
बनो उसका सहारा जो हो मजबूर
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 17 सितंबर 2019

क्या हो गया

वो तुम्हारा चुलबुलापन कहाँ रह गया
वो बातों का भोलापन कहाँ खो गया
न जाने किस जहाँ के तुम लगने लगे
खुदा जाने तुमको क्या से क्या हो गया
@मीना गुलियानी 

हार्दिक बधाई

माननीय प्रधानमंत्री जी

सादर प्रणाम  आपको जन्मदिवस की हार्दिक बधाई 
आपके कुशल नेतृत्व में कई अच्छे कार्य हुए एक
निवेदन मैं भी करना चाहती हूँ कि पदोन्नति में
आरक्षण बंद कराया जाना चाहिए जिससे योग्यता ,
कार्यकुशलता व वरिष्ठता का निरादर न हो
सरकार द्वारा निर्धन को आरक्षण के स्थान
पर संरक्षण दिया जाने का प्रावधान होना
चाहिए।  धन्यवाद
@मीना गुलियानी



सोमवार, 16 सितंबर 2019

बढ़ा के बैठे हैं

कितनी ख़ुशी है आज साथ बैठे हैं
कितनी तन्हाईयाँ समेटे बैठे हैं
आज उन सबको मिटा देंगे हम
फांसले हमसे जो बढ़ा के बैठे हैं
@मीना गुलियानी 

पहले किसी ने

चुपके से कोई आया ज़िन्दगी में
दी है दस्तक  दरवाज़े पे किसी ने
खुल गए हैं फिर से दिल के किवाड़
बंद किये थे बरसों पहले किसी ने
@मीना गुलियानी 

रविवार, 15 सितंबर 2019

लुत्फ़ उठायें हम

अभी तो देखने को दुनिया पड़ी है
गिले शिकवों के लिए उम्र पड़ी है
तुमको तो सोने की जल्दी बड़ी है
घर के भीतर भी गर्मी बड़ी है
चलो थोड़ा बाहर घूम के आएँ
बाहर की हवा में शीतलता बड़ी है
शहरों की आबोहवा रास न आई
  गाँव चलो वहाँ बरसात बड़ी है
मुझे खूब भाये बारिश का मौसम
न ए सी ,कूलर की चिंता न ग़म
 चलें मौसम का लुत्फ़ उठायें हम
@मीना गुलियानी 

वो गुनगुनाए

एक लम्हा मुहब्बत का मिला
मेरे दिल का भी कमल खिला
महक उठा देखो मन उपवन
 क्या कहती भँवरे की गुंजन
कली कली पे वो है मंडराए
गीत प्यार के वो गुनगुनाए
@मीना गुलियानी 

विश्व में नाम करो

तुम्हें दुनिया नई बनानी है
इन हाथों में वो साहस है
जिनसे मिट्टी उगलेगी सोना
इनमे ही संबल संयम है
जो रच दे सुंदर सी रचना
जिसे मूर्त रूप हम मान रहे
हो साकार जागृत वो रचना
तुम इन हाथों से नींव खोद
पुल इमारतों का निर्माण करो
भारत का विश्व में नाम करो
@मीना गुलियानी 

मेहमां ज़िन्दगी

कैसी है तू नादान ज़िन्दगी
हो गई तू बेईमान ज़िन्दगी
हुई तुझसे पहचान ज़िन्दगी
चंद दिनों की मेहमां ज़िन्दगी
@मीना गुलियानी 

वो भी मुस्कुराती है

ज़िन्दगी तू बहुत खूबसूरत है
मुझे तेरी बहुत ज़रूरत है
मेरी ज़िन्दगी में खुशियाँ बिखेरी
वरना पहले थी मेरी दुनिया अँधेरी
अब  सुबह भी रोज़ गीत गाती है
मेरे साथ साथ वो भी मुस्कुराती है
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 14 सितंबर 2019

सब हाल बताते हैं

भाषाएँ ग़ुम हो जाती हैं
जब हम दोनों मिलते हैं
खामोशी सी छा जाती है
पतझड़ में फूल खिलते हैं
आँखों में नशा छा जाता है
जब तू मेरे करीब आता है
लब हौले से मुस्काते हैं
मुँह से न कुछ कह पाते हैं
दो नैना जब टकराते हैं
बेचैनी दिल की बढ़ाते हैं
तब भाषा मूक हो जाती है
नैना ही सब हाल बताते हैं
@मीना गुलियानी 

तुम्हें बधाई

हिन्दी मेरी प्यारी तू हिन्दी
तेरी मैं करता हूँ बन्दगी
रूप तेरा देवताओं ने निखारा
तुझे पल पल कवियों ने संवारा
सबने तुझे रचनाओं में पिरोया
तेरा प्यार अबके दिलों में समोया
तेरी लिपि देवनागरी  कहलाई
देवों ने भी तेरी महिमा गाई
देववाणी से निकल धरा पे आई
फिर तू राष्ट्रभाषा भी कहलाई
 तद् भव और तत्सम रूप धारे
प्रत्यय ,उपसर्ग भी आरती उतारे
सभी  ने मिलके तेरी शोभा बढ़ाई
तू सर्वोपरी भाषा निखर के आई
आज हिन्दी दिवस की तुम्हें बधाई
@मीना गुलियानी 

सुलझा नहीं सकता

दिल पे क्या गुज़रती है
तुझे बतला नहीं सकता
ज़ख़्मी दिल हुआ कितना
तुझे दिखला नहीं सकता
ये सीना चाक कर मेरा
वो पूछे हाले दिल मेरा
करूँ मैं क्या है मुश्किल
जिसे सुलझा नहीं सकता
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

सब कबूल है

हे मेरे भगवान तू ही तो कारण है
मेरे हर सुख और हर दुःख का
सब कुछ तेरे ही आधीन है
मनुष्य कर्म करता है तू उनका
सब खाता खोलकर हिसाब में
नफ़ा बाकी तोलकर देता है
हर पल हम तेरा शुक्राना करते हैं
हमने अपने जीवन की बागडोर
अब तेरे हवाले करदी है तेरी जो
मर्जी है जो भी दे दे सब कबूल है
@मीना गुलियानी 

हमसफ़र बन जायेगी

ज़िन्दगी से तुम दोस्ती करलो
तो वह भी तुमसे दोस्ती करेगी
तुम्हारा कहना मानेगी साथ
तुम्हारा हमेशा ही निभायेगी
तुम्हें जीने का वो पाठ पढ़ायेगी
तुमको हँसायेगी गुदगुदाएगी
कभी न तन्हा रहोगे तुम्हारी 
वो हमेशा हमसफ़र बन जायेगी
@मीना गुलियानी 

न डरना झुकना है

नहीं बनना मुझे  किसी के हाथों की कठपुतली
मुझे तो बस अपने पंख  फैलाकर उड़ना है
खुले आसमान में कुछ देर तक विचरना है
नदिया के उस पार पर्वत की चोटी चढ़ना है
अपनी हिम्मत को परखना है धैर्य रखना है
बढ़ते कदम को आगे बढ़ाना है न रुकना है
स्वाभिमान से रहना है न डरना झुकना है
@मीना गुलियानी

बुधवार, 11 सितंबर 2019

फिर मेरे हो जाते

क्यों नहीं तुम अच्छे दोस्त बन जाते
क्यों नहीं पहले से अजनबी बन जाते
क्यों नहीं तुम दिल से कटुता मिटाते
क्यों नहीं फिर दिल में प्रीत जगाते
सब वैमनस्य भूलकर फिर मेरे हो जाते
@मीना गुलियानी 

ज़माना देखेगा

नए युग का तुम निर्माण करो  ज़माना देखेगा
कुछ अच्छी तुम शुरुआत करो ज़माना देखेगा
परिवर्तित तुम समाज करो ज़माना देखेगा
नई चेतना का आगाज़ करो ज़माना देखेगा
कुरीतियों का सर्वनाश करो ज़माना देखेगा
  हर दिल को प्रकाशित करो ज़माना देखेगा
भारत का विश्व में नाम करो ज़माना देखेगा
@मीना गुलियानी 

आँसू पियो

तुमको जो भी कहना है
मुझसे खुलकर कहो
यूँ न गुमसुम से रहो
न चुपचाप आँसू पियो
@मीना गुलियानी 

विलीन होती है

तेरे मुताबिक़  हो तो नहीं सकती  दुनिया 
जीवन के सपने और हकीकत दोनों 
दो किनारों के समान हैं  जीवन की नदिया 
की धारा इठलाती बलखाती चलती रहती है 
 अंत में ये नदिया सागर में विलीन होती है 
@मीना गुलियानी 

विस्तार कम है

हौंसलो वालों के  सामने
आसमां कम पड़ गया
आशाएँ उनकी असीमित
व्योम का विस्तार कम है
@मीना गुलियानी  

मंगलवार, 10 सितंबर 2019

किनारा कर जाते हैं

कहने को तो है सारा जहाँ
पर कोई  नहीं  है अपना
दुनिया सब मतलब की
जग सारा है इक सपना
सब झूठे रिश्ते नाते हैं
कोई साथ नहीं निभाते हैं
उनका जब वक्त हो तो
 बड़े हितैषी बन जाते हैं
जब पड़े मुसीबत हमपे 
सब किनारा कर जाते हैं 
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 9 सितंबर 2019

सच का साथ देते रहें

सच तो हमेशा से कठोर  कड़वा होता है
लेकिन अंत में जीत सच्चाई की होती है
इसका  साथ कभी  नहीं छोड़ना चाहिए
राहें चाहे दुर्गम हों बाधाएँ विचलित करें
तब भी हमे सच का दामन नहीं छोड़ना है
खुद को मानसिक रूप से प्रेरित करते रहें
दृढ़ निश्चयी बनें तो सारी बाधाएँ हटेंगी
हर परिस्थिति में सच का साथ देते  रहें
@मीना गुलियानी 

चैन न पाए

दिल तो है इक पागल भंवरा
डाल डाल घूमे, बौराये ,इतराए
चले जब झूमके ये मस्त पवन
फूलों पे भंवरा आके मँडराये
कोयल अपनी मीठी कूक सुनाए
आकाश पे काले मेघ हैं छाए
पीहू पीहू की चातक रट लगाए
पिया बिन मनवा चैन न पाए
@मीना गुलियानी 

घायल कर गई थी

ये हवा तुमसे कुछ कह रही थी
पुरवाई दामन गई को छू गई थी
सुरभि तेरी हरसू बिखर गई थी
तन मन में सिहरन भर गई थी
मन को मेरे घायल कर गई थी
@मीना गुलियानी 

हमेशा नहीं होता

ऊपर वाले का करम हमेशा नहीं होता
उसका हम पे ऐतबार हमेशा नहीं होता
इस दिल पे इख़्तेयार  हमेशा नहीं होता
ये दिल भी बेकरार  हमेशा नहीं होता
दिलबर का दीदार भी  हमेशा नहीं होता
@ मीना गुलियानी



रविवार, 8 सितंबर 2019

मुझे अपना लो

मैंने ढूँढा है सारा जहाँ
कोई ठौर नहीं मिलता
इक तेरी आँखों के सिवा
ठिकाना न मेरे दिल का
इन आँखों में बसा लो
दीवाना हूँ मुझे अपना लो
@मीना गुलियानी 

सुकूँ पा जाएँ

अगर हम साथ मिल जाएँ
तो जीवन में खुशियों के
हर तरफ चिराग़ झिलमिलाएँ
तन्हाई मिट जाए और हम
ज़िन्दगी में भी सुकूँ पा जाएँ
@मीना गुलियानी 

शनिवार, 7 सितंबर 2019

गायेंगे ,झूमेंगे

चाँद से कहदो कि वो दिन  दूर नहीं
जब हम तुमसे मिलने वहीं आयेंगे
तुम्हारी नगरी में एक घर बनायेँगे
तुम्हारे पास रहकर बहुत खुश होंगे
हम तुमको भी कहानी सुनायेंगे
नानी जो चरख़ा कातती है देखेंगे
परियों के भी देश में हम जायेंगे
तुम हमारे मामा हो रिझायेंगे
खूब खेलेंगे ,कूदेंगे ,गायेंगे ,झूमेंगे
@मीना गुलियानी 

कर्ज़ है

ज़िन्दगी और मौत के दरम्यां
फ़ासला ज़रा सा ही तो था
अगर तुम वक्त पर नहीं आते
तो हम कबके मर गए होते
तुमने ही समय पर आकर
डॉक्टर को बुलाया जान बचाई
मेरी ज़िन्दगी पर ये कर्ज़ है
@मीना गुलियानी 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2019

गुलज़ार ज़िन्दगी

धुंध में लिपटी हुई है ये ज़िन्दगी
  चार पल की मेहमान ज़िन्दगी
जब ये ना उम्मीदी छंट जायेगी
कोहरे की दीवार भी तब हट जायेगी
तमाम संगीन वारदातों से गुज़रके
होने जा रही है अब गुलज़ार ज़िन्दगी
@मीना गुलियानी 

क्यों इतराते हो

सब कहते हैं कि घमण्डी का सर नीचे होता है
 तुम जाने किस बात का अहंकार करते हो
न तो तुम कभी मेरे बुलाने पे ही आते हो
और न ही मेरे मनाने पे ही शक्ल दिखाते हो
पता नहीं मुझे हर समय तुम क्यों इतराते हो
@मीना गुलियानी 

झूझते रहो

ज़िन्दगी का तकाज़ा है कि चलते रहो
तुम भी कर्त्तव्यपथ पर अडिग रहो
कभी न तुम्हारा हौंसला टूटे डटे रहो
जीवन को संग्राम समझ झूझते रहो
@मीना गुलियानी 

हुनर सिखाया है

आपने अपनी औकात में रहना सिखाया है
आपने ही हमें जीने के काबिल बनाया है
आपने ही मुस्कुराते हुए जीना सिखाया है
आपने जीने का मकसद, हुनर सिखाया है
@मीना गुलियानी 

बुधवार, 4 सितंबर 2019

मुँह काला है

व्यर्थ का दिखावा क्यों करते हो
सच्चाई से तुम क्यों डरते हो
हर तरफ सच का ही बोलबाला है
झूठे का तो हमेशा मुँह काला है
 @मीना गुलियानी

मुँह लटकाए बैठा है

क्यों तू मुँह छिपाए बैठा है
ऐसा कौन सा गुनाह हुआ
क्या किसी को धोखा दिया
फिर क्यों नज़रें चुराए बैठा है
चिलमन उठा पर्दे से निकल
राज़े दिल खोल हँसके बोल
ग़म ज़ाहिर कर न तू डर
क्यों मुँह लटकाए बैठा है
@मीना गुलियानी 

तू बदल

अंधेरों से तू अब निकल
रौशनी के साथ तू चल
खुलके हवा में साँस ले
 सुख दुःख को बाँट ले
मुस्कराके जीना सीख
वक्त से साथ तू बदल
@मीना गुलियानी

मंगलवार, 3 सितंबर 2019

तू निराशा है

ज़िन्दगी तेरा ये क्या तमाशा है
पल में तोला है पल में माशा है
इक पल  तुझसे बँधती आशा है
दूजे ही पल बनती तू निराशा है
@मीना गुलियानी 

सोमवार, 2 सितंबर 2019

इतिहास नया

चलो उठें अपने गाँव  चलेँ
वतन की मिट्टी पुकारे हमें
 इस शहर से मन भर गया
वहीँ लिखेंगे इतिहास नया
@मीना गुलियानी 

रविवार, 1 सितंबर 2019

ख़ुमार इन दिनों

मौसम बड़ा है खुशगवार इन दिनों
हर तरफ छाई बहार है इन दिनों
कलियों पर आया निखार इन दिनों
छाने लगा दिल पे ख़ुमार इन दिनों
@मीना गुलियानी