धुंध में लिपटी हुई है ये ज़िन्दगी
चार पल की मेहमान ज़िन्दगी
जब ये ना उम्मीदी छंट जायेगी
कोहरे की दीवार भी तब हट जायेगी
तमाम संगीन वारदातों से गुज़रके
होने जा रही है अब गुलज़ार ज़िन्दगी
@मीना गुलियानी
चार पल की मेहमान ज़िन्दगी
जब ये ना उम्मीदी छंट जायेगी
कोहरे की दीवार भी तब हट जायेगी
तमाम संगीन वारदातों से गुज़रके
होने जा रही है अब गुलज़ार ज़िन्दगी
@मीना गुलियानी
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