तुम क्या जानो कितने सितम सहे हमने
फिर भी इक उफ़ तक न कभी की हमने
हमको हर ग़म ग़वारा है सह लेंगे ख़ुशी से
होने देंगे न रुसवा तुमको सोचा ये हमने
@मीना गुलियानी
फिर भी इक उफ़ तक न कभी की हमने
हमको हर ग़म ग़वारा है सह लेंगे ख़ुशी से
होने देंगे न रुसवा तुमको सोचा ये हमने
@मीना गुलियानी
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