दुःख इस बात का नहीं कि तुम दूर हो
तुम हकीकत से अन्जान हो ये दुःख है
हम वक्त के सितम चुपचाप सहते रहे
तुम कुछ भी न कर पाए बस बैठे रहे
सारी उम्मीदें टूट चुकी संभलें कैसे हम
जिंदगी की उलझनें सुलझायें कैसे हम
@मीना गुलियानी
तुम हकीकत से अन्जान हो ये दुःख है
हम वक्त के सितम चुपचाप सहते रहे
तुम कुछ भी न कर पाए बस बैठे रहे
सारी उम्मीदें टूट चुकी संभलें कैसे हम
जिंदगी की उलझनें सुलझायें कैसे हम
@मीना गुलियानी
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