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सोमवार, 21 दिसंबर 2020

तुम्हारी तरफ से

लगता प्यार है बेशुमार तुम्हारी तरफ से 

हम भी खड़े हैं कतार में इस तरफ से  

 लगता प्यार है बेज़ार तुम्हारी तरफ से 

हम भी खड़े  हैं कतार में इस तरफ से 

यही जवाब है तुम्हारा

यही जवाब है तुम्हारा 

हम समझे नहीं इशारा 

कैसा है प्यार तुम्हारा 

देखो कुदरत का इशारा 

 देखो पलटकर दुबारा 

घूमने निकले हैं हम

घूमने निकले हैं हम 

नहीं थमते ये कदम 

चाहें सब पा लें हम 

तुझे उल्फत की कसम 

यूँ न रूठो मेरे हमदम  

रविवार, 20 दिसंबर 2020

चाँद तुम्हारी ख़ामोशी

चाँद तुम्हारी ख़ामोशी

 दिल पे गजब ढायेगी  

नई इबारत लिखेंगे 

नया  अफसाना कहेगी 

मन में दीप जलायेगी 

नई चेतना जगाएगी 

जीवन रोशन करेगी 

जीवन में प्रतिभा आएगी 

जीने का अंदाज़ बदलेगी 

अंतर्मन प्रकाशित करेगी 

ज्ञान कभी घटता नहीं

ज्ञान कभी घटता नहीं 

बाँटने से बढ़ता है 

जितना बांटोगे बढ़ेगा 

नई बातें भी सीखेंगे 

कोई नई दिशा मिलेगी  

प्यार न सही

प्यार न सही 

मीठा  बोलोगे 

वही काफी है 

जीने का अंदाज़ 

हम बदल देंगे 

जीना सीख लेंगे  

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

क्या रुक नहीं सकते ह

क्या रुक नहीं सकते हम  

लहरों में आया तूफ़ान 

आसमा से कोहरा उतरा 

धरा पे चादर सी बिछी 

हाथ को हाथ न दीखता 

सर्दी से बदन कांप उठा

पग उठाना  भी मुश्किल 

अच्छा होगा यही रुक जाएँ 

कुछ कर गुज़रना है

कुछ कर गुज़रना है 

पानी में रवानी है 

रुत भी मस्तानी है 

होसलो में है तूफ़ान 

थाम पार उतरना है  

एक आदत नहीं बदलती

एक आदत नहीं बदलती 

तुम्हारा जफ़ा करना और 

मेरा वफ़ा करते रहना  

गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

शिखर पर पहुँच कर भी

शिखर पर पहुँच कर  भी  

उनका व्यक्तित्व न बदला 

हमारी नज़रों के सामने 

वो बहुत ऊँचा उठ गया 

जिन्हें हम दिल में रखते हैं

जिन्हें हम दिल में रखते हैं 

उनसे कुछ कह नहीं पाते हैं 

जमाने भर के आगे दुखडो को 

दिल खोलकर हम बताते हैं  

कहानी हमारी ज़रा अलग है

ये माना किताबों में तुम्हारा ज़िक्र है 

फिर भी कहानी हमारी ज़रा अलग है  

चाँद हमारा है

चाँद हमारा है सभी ये सोचके प्यार करें 

ईद का चाँद सबका है आओ दीदार करें  

दिल में चाहत रखना

दिल में चाहत रखना पैगामे मुहब्बत आए 

कौन दूर जाएगा जमाने में उल्फत के लिए  

कौन सोचता है

कौन सोचता है बीमारे दिल का इलाज 

नज़रे कर्म काफी है बीमारे दिल के लिए  

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

अँधेरा खिल गया था

अँधेरा खिल गया था क्योंकि तुम मिल गई थी 

तुम्हाता मुख पूर्णमाशी के चंदा की तरह है 

तुम्हारी मुख की कान्ति और उस पर सुंदर 

चमकती सितारों भी साडी सुंदरता बढ़ाती है  

@मीना गुलियानी 

तुम्हारी बातों की गर्माहट

तुम्हारी बातों की गर्माहट सर्दी में राहत देती है 

 तुम्हारी बातें इतनी लुभावनी होती हैं कि दिल 

चाहता है कभी खत्म न हों चाय पानी चलती रहे 

बातों का सिलसिला कभी खत्म न हो मन में 

प्रेम की कल कल ध्वनि बहती रहे गर्माहट रहे 

रिश्तों पर न बर्फ जमे

रिश्तों पर न बर्फ जमे, ये देखना जरूरी है 

आजकल रिश्तों में दरारें पड़ना आम बात है 

सबको सिर्फ अपने स्वार्थ से काम है वरना 

रिश्तों की डोरी में अनगिनत गांठे पडी हैं 

हमें हर पल  देखना जरूरी है रिश्तों पर बर्फ 

न जमे कभी दिखावटी न हों नेकी करते चलो 

@मीना  गुलियानी 


तुम्हारी बातों की गर्माहट

 तुम्हारी बातों की गर्माहट ही मेरा मन बेसुध कर देती है 

मिलने की तो बात ही अलग है तुमसे बात करके मन को 

बहुत सुकून मिलता है तुम्हारा साथ मिले तो रसमय 

रिश्ता और गहरा हो जाता है अपनत्व यूँ ही बनाये रखो 

@मीना गुलियानी 

मंगलवार, 15 दिसंबर 2020

,कीका,

आज मेरे पोते के पाँव ख़ुशी के मारे  जमीन पर न पड़ रहे थे जिसकी वजह घर पर सबने उसको बहुत समझाया था 

लेकिन तो अपनी डिमांड से पीछे नहीं हट रहा था कि मुझे एक ब्रीड वाला कुत्ता चाहिए।  ऐसा नहीं कि कुत्ते कभी पाले नहीं लेकिन महामारी भी फैली हुई है ये सोचकर भी हम थोड़ा सा देर से दिलाना चाहते थे।  कुत्ते का प्रसंग जुबां पर आते ही वो बहुत खुश हो जाता था। कोई और बात चल रही होती तो अपने आप कमरे से बाहर नज़र आता था। जबसे लॉक डाउन शुरू हुआ था तबसे उसने कुत्ता पालने की जिद पकड़ रखी थी।  उसने तो नाम भी सोच रखे थे जैसे ब्रूनो ,लुई , जेज ,किड ,लाडो रॉकी ,कीका,आदि।  


आज वो शुभ घड़ी आ गई उसकी आंखे बंद थी आँखें खुलते ही जैसे उसने कीका को अपने कमरे में देखा खुश होकर वो उससे लिपट गया कीका नाम भी उसी ने सुझाया।  एक ही दिन में कीका ने सबका मन जीत लिया अभी वो मात्र २६ दिवस का ही कुत्ता था लेकिन उससे पालना स्वीकार कर लिया।अपने सारे दोस्तों से भी उसको मिलवाया।  छोटे गेम भी खिलवाये गए।  जेसे बॉल पकड़कर लाना गाजर सूंघना फिर पकड़कर लाना।  उससे भी गेम में मज़ा आने लगा सभी बच्चे उसके भी दोस्त बन गए।  कीका तो आज हीरो बन गया था। वो तो प्यार करना चाहता था। उसके पंजे के नाख़ून बड़े थे डाक्टर से पूछकर कटवाने भी थे।  हल्की फुल्की खरोंच किसी को लग जाती थी। सब बच्चो  को समझा दिया था अभी इसके पास ज्यादा मत जाना दूर से ही हल्का प्यार करना।  


जब कीका सब बाते समझा जाता और बच्चे भी समझ जाते थे तो उसे ट्रीट मिलती थी जो कि इसका स्पेशल भोजन था वो दिया जाता था इना की ममी की ममी की ममी म के तोर पर दिया जाता था। कीका भी उसको पाकर गोळ गोळ घूमने लगता था। सबसे अच्छी बात यह लगी कि उसका खाने का बॉक्स जिसमे दो स्टील के कटोरे थे एक उसका बेडिंग भी लेकर आये।  दस दिन के बाद उसका वेक्सिनेशन होना था।  अभी तो नेरोलेक देते थे फिर गाजर का टुकड़ा उससे वो खेलता था।  अपनी खाने की कटोरे उसकी पहचान में आ चुके थे।  उसको हम कहते थे कीका फ़ूड ले लो वो दौड़ता हुआ आ जाता था। अजब समझ थी उसकी भी कि अपने तो तो बिस्तर तो गीला नहीं करता था बिस्तर से कूदकर बाहर निकल  कूँ कूँ करने लगता था उसी समय उसे बाहर ले जाते थे या गैलरी में तब वो सुसु /पोटी करता था। इस उम्र भी इतनी समझ भी लाजवाब थी। धीरे धीरे हेडशेक करना सीख गया था।   सबको पहचानने लगा था उसे कहते ममी पास जाओ तो नेशू  की ममी के पास खड़ा हो जाता था उनके पास जाकर हाथ पैर चाटने लगता था। पापा कहते ही पापा के पाास दौड़कर चला जाता तथा वो उसके कानो के पास गर्दन के पास सहलाते थे वो भी बड़े मजे से उनके पैरों के पास पड़ा रहता था। प्रेम की अनुभूति तो जानवर भी करते हैं। 

 आज वेक्सिनेशन का  वो डाक्टर के पास  घबरा गया था जब उसके हाथ  सुई देखी तो बेटे ने डाक्टर की सुरक्षा का भी ध्यान रखते हुए उसको अपने साथ सटा  लिया कीका के सर पर धीरे धीरे हाथ फेरते गए तकि ज्यादा शोर न मचाये फिर भी इजेक्शन के वक्त तो वो जोर से चिल्लाया फिर उसको खूब प्यार किया बहुत पुचकारा धीरे धीरे वो जाके नार्मल हुआ हमें तो यह डर भी लग रहा था कि डाक्टर को ही न कहीं  सुई चुभ न जाए।  अब खतरा टल गया था कीका डाक्टर को घूरे जा रहा था क्योंकि उन्होंने सुई लगाई थी।  अब वो घर जाने के लिए गोद में  भी मचल रहा था।  डाक्टर से जरूरी हिदायतें समझकर हम लोट आये। 


घर पर आकर उस दिन थोड़ा गुमसुम सा वो पड़ा रहा।  जाहिर सी बात है की इतना बड़ा इंजेक्शन लगवा कर जो आया था।  उस दिन घर आकर खाना भी कम ही खाया था। शाम होने पर वो सब कुछ भूल गया था फिर बच्चो के साथ खेलने लगा। अब धीरे धीरे उसने गले में पट्टा पहनना सीख लिया।  अब वो पट्टा पहनकर घर से बाहर जाता था एक पतली जंजीर भी नेशु के हाथ में होती थी।  अब रोज़ इसी तरह हँसते खेलते वक्त कट रहा था घर पर एक सदस्य बढ़ गया था जो सबका प्यारा था। 

@मीना गुलियानी 

तुम कहो और हम न माने

तुम  कहो और हम न माने ऐसा कभी नहीं हो सकता 

वो दिन कभी भी न आएगा जब कभी तुम्हारी अवज्ञा हो 

मेरा दिन और रात तुम्हारे कहने से ही होती है हर बात 

तुम्हीं से शुरू होती है तुम्हीं पे खत्म होती है रोज़ ही 

तुम्हारे दीदार को आँखें तरसती हैं तुम आते हो तो 

सूरज लेकर आते हो जाते समय खूबसूरत चाँद मुझे 

देकर जाते हो ये क्या छोटी सी बात है तुम ही एक 

करिश्मा हो मेरी जिंदगी का मैं पग़ वंदन करती हूँ 

@मीना गुलियानी  

रविवार, 13 दिसंबर 2020

क्यों बार बार

क्यों बार बार निगाहें पलटकर 

फिर से तुम्हें देखना चाहती हैं 

क्यों  दिल की धड़कन तेज़ हो 

जाती है तुम्हारे बदन से चंदन 

की खुशबु मन में बस जाती है 

सारी शिकायतें भूल जाती हैं 

मन तुम्हें पुकारता है ख्यालों में 

तुम्हें बसाना चाहता है क्यों तुम्हें 

पता नहीं चलता रुक्ते  क्यों नहीं 

@मीना गुलियानी 

जीवन की तस्वीर तो देखो

जीवन की तस्वीर तो देखो 

इसमें इंद्रधनुष जैसे रंग हैं 

मज़े की बात यह है कि 

ये रंग हमने खुद भरे हैं 

जीवन में कहीं ऊँचाई  

कहीं समतल  कहीं गहराई 

कहीं रेगिस्तान कही ढलान 

जीवन में ऐसे ही रिश्तों के 

रंग भी हैं हँसी ,रोना ,ख़ुशी 

गम इन सबसे भरपूर है 

इन सबको देखकर हैरानी है 

@मीना गुलियानी 

जिंदगी को देखना

जिंदगी को देखना कोई मज़ाक नहीं 

इसे अच्छी तरह से देखोगे तो ये भी 

तुम्हें देखकर मुस्कुराएगी ये तो 

तुम्हारा ही प्रतिरूप हे आईना है 

तुम्हें देखकर खुश होगी अगर उदास हो 

तो ये भी दुखी होगी तुम्हारा प्रतिबिम्ब 

ही है सारी  दुनिया की ख़ुशियाँ तुम 

जिंदगी में समेट लो फिर तो सारे 

ही दुःख तुमसे दूर हो जाएंगे जिंदगी 

तुमसे बातें करेगी तुम्हारी सहेली बनेगी 

@मीना गुलियानी  

शनिवार, 12 दिसंबर 2020

जिंदगी तुम्हारी बंदिश में लगती है

मुझे  जिंदगी तुम्हारी बंदिश में लगती है 

लेकिन ये बंदिश भी मुझे तुम्हारे प्रेम से है 

जो अपनी तरफ खींच लेती है ये कशिश है 

जो मुझे जीने की आरजू लगती है वरना 

इस तरह कोई कैसे बंदिश में रहेगा मगर 

मुझे तुम्हारी ये कैद पसंद  है क्योंकि एक 

पंछी को जैसे अपने पिंजरे से मोह होता है 

उसी तरह इस बंदिश से मोह गया है 

@मीना गुलियानी 

ये जानते हुए भी पहचानते हुए भी

ये जानते हुए भी पहचानते हुए भी 

मैंने तुमसे नाता नहीं तोड़ा क्योंकि 

तुम्हारा दिल नहीं तोड़ना चाहा था 

चाहे तुम सच मानो या झूठ इसमें 

मेरी क्या गलती है कभी सोचा है 

हर बार मुझे ही क्यों दोषी मानते हो 

कभी खुद अपनी गलती भी मानो 

@मीना गुलियानी  

मंगलवार, 1 दिसंबर 2020

दिसंबर तुम्हारा स्वागत है

दिसंबर तुम्हारा स्वागत है 

वक्त भी कैसे गुज़र गया 

पूरा साल खत्म होने को है 

अब जनवरी भी आयेगी 

जैसे पहले आई थी नए 

साल को नए वादों के साथ 

 तुम्हारे बाद फिर आयेगी  

इस साल तो महामारी की 

चपेट में देश आया सोचते हैं 

तुम्हारे आने से महामारी का 

भी अंत हो जाए फिर अगला 

साल खुशियों भरा आये जो 

सकंट मिटाये सुखमय हो 

@मीना गुलियानी 

वक्त नहीं गुज़रता

वक्त नहीं गुज़रता बिन तेरे 

काश तुम लौट आते सवेरे 

काम तो चलते ही रहेंगे 

सोचो तन्हा कैसे हम रहेंगे 

@मीना गुलियानी 

एक दूजे से दूर हुए

एक दूजे से दूर हुए 

भले ही नज़रों से दूर हुए 

तुम अपनी मग़रूरि से 

कुछ मसरूफ़ियत  से 

तुमसे आया न गया और 

हमसे बुलाया न गया 

फासला प्यार में हम दोनों 

से यूँ भी मिटाया न गया 

दिल फिर भी पास हैं दोनों 

में एहसास बहुत है जिसने 

दोनों को ही बांध रखा है 

@मीना गुलियानी 

एक दूजे से दूर

एक दूजे से दूर हम दोनों हैं मजबूर 

 भले ही नज़रों से हो दूर पर दिल 

की धड़कन दोनों को सुनाई देती है 

साँसो की सरगम भी बजती है 

तुम्हें  मेरी पुकार सुनाई देती है 

मेरी हालत तुमसे छुपी नहीं रहती 

@मीना गुलियानी