क्या रुक नहीं सकते हम
लहरों में आया तूफ़ान
आसमा से कोहरा उतरा
धरा पे चादर सी बिछी
हाथ को हाथ न दीखता
सर्दी से बदन कांप उठा
पग उठाना भी मुश्किल
अच्छा होगा यही रुक जाएँ
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