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गुरुवार, 21 सितंबर 2017

माता की भेंट ----02

तर्ज़ ----रहा गर्दिशों में हरदम 

मेरी मात आओ तुम बिन, मेरा नहीं सहारा 
दर्शन दिखाओ मुझको , दिल ने तुझे पुकारा 

आके हाल मेरा देखो , दुनिया के दुःख हैं झेले 
तेरे बिना जहाँ में , रोते हैं हम अकेले 
माँ मुझे न तुम भुलाना , मुझे आसरा तुम्हारा 

क्यों बेटे पर तुम्हारी, नज़रे कर्म नहीं है 
सारी ये दुनिया माता , वैरी मेरी बनी है 
मेरी लाज को बचाओ, मैं बच्चा हूँ तुम्हारा 

मेरे आँसुओ का तुम पर ,कोई असर नहीं है 
कैसे सुनाऊँ तुमको, विपदा जो आ पड़ी है 
मँझदार में फंसा हूँ ,सूझे नहीं किनारा
 @मीना गुलियानी 

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