तुम आज मुझे सो लेने दो
चुप चाप मुझे रो लेने दो
बरसों से सुख से सो न सका
चिरनिद्रा में सो लेने दो
क्या सोचा था और क्या पाया
दिल जाने कहाँ मुझको लाया
लहरों ने थपेड़े मुझको दिए
अब चाके गरेबाँ सीने दो
क्या क्या न सितम मुझपे टूटे
इक साथ तेरा तब पाया था
तूने भी भटकने को छोड़ा
अब मुझको सुकूँ से जीने दो
होठों तक आते आते भी
क्यों नाम तेरा न ले पाता
दिल रोता है पीड़ा से मगर
चुप चाप ये आँसू पीने दो
@मीना गुलियानी
चुप चाप मुझे रो लेने दो
बरसों से सुख से सो न सका
चिरनिद्रा में सो लेने दो
क्या सोचा था और क्या पाया
दिल जाने कहाँ मुझको लाया
लहरों ने थपेड़े मुझको दिए
अब चाके गरेबाँ सीने दो
क्या क्या न सितम मुझपे टूटे
इक साथ तेरा तब पाया था
तूने भी भटकने को छोड़ा
अब मुझको सुकूँ से जीने दो
होठों तक आते आते भी
क्यों नाम तेरा न ले पाता
दिल रोता है पीड़ा से मगर
चुप चाप ये आँसू पीने दो
@मीना गुलियानी
बहुत अच्छा.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.
बहुत खूब ।
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