बढ़ती जा रही हैं विडंबनाएँ
उनसे हमें उबारे अब कौन
किनसे हम उंम्मीद लगाएं
सपने हमारे सँवारे कौन
सारी संवेदनाएँ सूख चली हैं
हृदय की भावना सिमट चली है
दिग्भ्रमित पीढ़ी हो चली है
राह सही बतलाये अब कौन
टूटी हैं मर्यादा आंतक का उत्पात मचा
अंधविश्वास से हरसू कोहराम मचा
अजब के गोरखधंधों में इंसान फंसा
संकट गहराया इतना उबारे अब कौन
है भरोसा युवा पीढ़ी पर आगे वो ही आएँ
धरती की उर्वरता को वो ही लहलहाएं
उनकी ही कर्मठता से बढ़ेंगी संभावनाएं
देश को अब उन्नत पथ पर ले जाए कौन
@मीना गुलियानी
उनसे हमें उबारे अब कौन
किनसे हम उंम्मीद लगाएं
सपने हमारे सँवारे कौन
सारी संवेदनाएँ सूख चली हैं
हृदय की भावना सिमट चली है
दिग्भ्रमित पीढ़ी हो चली है
राह सही बतलाये अब कौन
टूटी हैं मर्यादा आंतक का उत्पात मचा
अंधविश्वास से हरसू कोहराम मचा
अजब के गोरखधंधों में इंसान फंसा
संकट गहराया इतना उबारे अब कौन
है भरोसा युवा पीढ़ी पर आगे वो ही आएँ
धरती की उर्वरता को वो ही लहलहाएं
उनकी ही कर्मठता से बढ़ेंगी संभावनाएं
देश को अब उन्नत पथ पर ले जाए कौन
@मीना गुलियानी
उलझे प्रश्न का सटीक समाधान दिया हैं, आपने.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.