आ जाओ बारिश में थोड़ा भीग लें
इतना भी हमसे शर्माया न करो
चाँदनी बिखरी तेरे तब्बसुम पर
अपने जलवों को न छिपाया करो
दर्द जिंदगी भी कितना देती है
इसे आँसुओ में न बहाया करो
कुछ तुम्हारे लब खामोश रहते हैं
कभी खुलके तो मुस्कराया करो
जिंदगी वादों पे गुज़र जाती है
अपनी नज़रें न यूँ चुराया करो
हमसे इतना भी दूर मत जाओ
कभी ख्वाबों में मेरे आया करो
@मीना गुलियानी
इतना भी हमसे शर्माया न करो
चाँदनी बिखरी तेरे तब्बसुम पर
अपने जलवों को न छिपाया करो
दर्द जिंदगी भी कितना देती है
इसे आँसुओ में न बहाया करो
कुछ तुम्हारे लब खामोश रहते हैं
कभी खुलके तो मुस्कराया करो
जिंदगी वादों पे गुज़र जाती है
अपनी नज़रें न यूँ चुराया करो
हमसे इतना भी दूर मत जाओ
कभी ख्वाबों में मेरे आया करो
@मीना गुलियानी
Nice
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद.