यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 17 सितंबर 2017

चैन न दिल को आए

तुम बिन न लागे जिया
अब तक काहे न आए

काहे बसे परदेस बलमवा
बिसरे तुम मोरा अँगनवा
कासे कहूँ अब कैसे रहूँ मैं
बिरहा तेरी जो सताए

ऐसे बेदर्दी से नाता जोड़ा
जिसने मेरे दिल को तोडा
बिसर गया मोको हरजाई
जाके देस पराए

छाये हैं चहुँ ओर अँधेरे
कैसे होंगे अब ये सवेरे
प्रीत मेरी ठुकराके तूने
दर्द भी मोरे बढ़ाए

अब छाये बादल मतवाले
 दिल को बोलो  कैसे संभाले
प्रीत अधूरी गीत अधूरे
चैन न दिल को आए
@मीना गुलियानी

2 टिप्‍पणियां: