तुम्हारी स्मृति पलकों में बन्द रहती है
मुझसे वो बातें चन्द करती ही रहती है
कभी पलकों में ये मुस्कुराती है
कभी कभी अश्क भी बहाती है
जाने क्यों फिर भी तंग रहती है
दिल में इक जंग जैसे रहती है
तुमको ये हाले दिल बता देगी
पूछोगे गर तो ये पता देगी
मुझसे शायद नाराज़ रहती है
तभी ये कुछ उदास रहती है
कभी तो हौले से गुनगुनाती है
कभी थपकी देके भी सुलाती है
दिल के हर राज़ बयां करती है
मन में शायद सबसे डरती है
कभी ये लोरियाँ सुनाती है
कभी रूठूँ तो ये मनाती है
कभी आसमाँ से उतरती है
कभी ज़मीं पे पग धरती है
@मीना गुलियानी
मुझसे वो बातें चन्द करती ही रहती है
कभी पलकों में ये मुस्कुराती है
कभी कभी अश्क भी बहाती है
जाने क्यों फिर भी तंग रहती है
दिल में इक जंग जैसे रहती है
तुमको ये हाले दिल बता देगी
पूछोगे गर तो ये पता देगी
मुझसे शायद नाराज़ रहती है
तभी ये कुछ उदास रहती है
कभी तो हौले से गुनगुनाती है
कभी थपकी देके भी सुलाती है
दिल के हर राज़ बयां करती है
मन में शायद सबसे डरती है
कभी ये लोरियाँ सुनाती है
कभी रूठूँ तो ये मनाती है
कभी आसमाँ से उतरती है
कभी ज़मीं पे पग धरती है
@मीना गुलियानी
bahut achchha
जवाब देंहटाएंVery Good.
जवाब देंहटाएंThanks.