यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

वो जो अपना लगता है

वो जो अपना सा लगता है
प्यारा सा इक सपना लगता है
है वो उमंगों से भरा हुआ
रंगीन पतंगों सा उड़ता हुआ
है नर्म नर्म फूलों के जैसा
मखमली बिछौने के जैसा
खुशबुओं से वो भरा हुआ
एक जिद्दी नटखट के जैसा
दिल उसका है मोम के जैसा
डरती हूँ कहीं रूठ न जाए
छू लूँ गर तो टूट न जाए
उसे देखना अच्छा लगता है
बातें करना अच्छा लगता है
@मीना गुलियानी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें