यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

रात जैसे एक नदी है

रात जैसे एक नदी है
भावनाओं की लहरें उठी हैं
मन में भी उमंगें भरी हैं
धरती भी झूम उठी है
तेरी पायल खनक उठी है
तू दुल्हन सी सजी है
तेरे हाथों में मेहँदी लगी है
माथे बिंदिया चमक रही है
तेरी चूनर सितारों जड़ी है
हीरे मोतियों की झूमर पड़ी है
चांदनी की नाव भी चल रही है
@मीना गुलियानी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें