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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

मंज़र बदल गया है

अब मंज़र बदल गया है
वो हालात अब नहीं हैं
वो जज़्बात अब नहीं हैं
जो ढूँढ़ती थी मुझको
वो निगाहेँ बदल गई हैं
लगता है क्यों मुझे ऐसे
जैसे तू भी बदल गया है
कहाँ गुम हुई वो सुबह
कहाँ खो गई है वो शाम
जहाँ बाग़ में थे चलते
हम दोनों ही नंगे पाँव
तेरे दिल को भी शायद
मेरी तलब अब नहीं है
तेरी आँखों की खामोशी
सब कुछ बयां कर रही है
जिसका डर था मुझको
शायद वो ही हो गया है
@मीना गुलियानी

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