यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

समझ को समझो



समझ  समझ के समझ को समझो
समझ समझना भी इक समझ है
समझ के भी जो अभी न समझा
मेरी समझ में वो नासमझ है

                 वफ़ा निभाना तुम्हे न आया
                 सीखो पहले वादा निभाना
                  दिल शीशे का टूटेगा तो
                  होगा मुश्किल इसको बचाना

पत्थर दिल को मोम बनाना
हमें न आता तुम्हीं बताना
दिल है पगला कैसे सम्भले
आके होश में इसको लाना

              वादा किया तो आके निभाना
               पड़े जो मुश्किल आके बचाना
               दिल तो एक आवारा बादल
               इसको बस  इक तूने जाना 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें