इस दिल पे ज़रा तरस खाओ , तुम अब तो धीर बंधा जाओ
अब आन मिलो न तरसाओ , इस मन को आस बंधा जाओ
रोती है आँखे पल पल छम छम
होठों पर मुस्कान दिए जाओ
जाने कबसे दिल रोया है
तेरे सपनों में खोया है
दिल पगला है दीवाना है
ये सच है या अफ़साना है
कब तलक रहूँगी मै प्यासी
अमृत रस को टपका जाओ
इक झलक ज़रा दिखला जाओ
इस मन की प्यास बुझा जाओ
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