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मंगलवार, 17 नवंबर 2015

अब क्या करूँ मै




मुझे जाना बहुत ही दूर है
पाँव चलने से अब मजबूर है
पिया कैसे चलूँ मै हाय अब क्या करूँ मै

तेरे संग में जीना ज़रूर है
साथ रहना मुझे मंज़ूर है
पिया कैसे रहूँ मै बोलो अब क्या करूँ मै

गाँव तेरा बहुत ही दूर है
 दिल मिलने पे मजबूर है
पिया कैसे मिलूँ मै  बोलो अब क्या करूँ मै

मेरे दिल का बोलो  क्या कसूर है
तेरा दिल क्यों बना मगरूर है
हाय अब क्या करूँ मै जीते जी ही मरूँ मै  

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