आज जाने कोयलिया क्यों गाने लगी
मेरे मन की कली भी मुस्कुराने लगी
दिल में उमंगो की क्यारी खिल उठी
मन की बगिया भी आज महक उठी
हर कली खिलके गीत गाने लगी
चंपा चमेली भी खुशबु लुटाने लगी
तेरे पाँव की आहट भी आई तो है
लगता है उस पार से कोई आने को है
हर आहट पे तेरी खुशबु सी आने लगी
मन ही मन मै तो सपने सजाने लगी
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