दर्द की एक भाषा होती है
सभी को समझ नहीं आती
आँखों से वो पढ़ी जाती है
सिर्फ एक एहसास होता है
जो दिल में छुपा रहता है
यह एक मूक भाषा होती है
दिलवाला इसे जान लेता है
वो इसे खूब पहचान लेता है
सीने से एक आह होती है
दर्द तो बेजुबान होती है
सिसकी भी साथ होती है
होठों पे शिकवा दिल में तो
बस इक फरियाद होती है
@मीना गुलियानी
सभी को समझ नहीं आती
आँखों से वो पढ़ी जाती है
सिर्फ एक एहसास होता है
जो दिल में छुपा रहता है
यह एक मूक भाषा होती है
दिलवाला इसे जान लेता है
वो इसे खूब पहचान लेता है
सीने से एक आह होती है
दर्द तो बेजुबान होती है
सिसकी भी साथ होती है
होठों पे शिकवा दिल में तो
बस इक फरियाद होती है
@मीना गुलियानी
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