ओ इच्छा
तू वरदायिनी है मंगलकारी है
बहुरूपिणी है और बलशाली है
मुक्ति देने वाली है बंदी बनाती है
इच्छा तेरे कितने रूप हैं कितना
ऐसे कैसे तेरा बखान करूँ कैसे
तेरे रूप को लिखूँ सारा जमाना तुझे
पूजता है , अर्चना करता है ,हर
व्यक्ति की कोई न कोई इच्छा
अवश्य ही होती है जब उसकी बात
पूरी हो जाती है वो फूला नहीं समाता
पूरा होने के लिए प्रयत्न करता है
@मीना गुलियानी
तू वरदायिनी है मंगलकारी है
बहुरूपिणी है और बलशाली है
मुक्ति देने वाली है बंदी बनाती है
इच्छा तेरे कितने रूप हैं कितना
ऐसे कैसे तेरा बखान करूँ कैसे
तेरे रूप को लिखूँ सारा जमाना तुझे
पूजता है , अर्चना करता है ,हर
व्यक्ति की कोई न कोई इच्छा
अवश्य ही होती है जब उसकी बात
पूरी हो जाती है वो फूला नहीं समाता
पूरा होने के लिए प्रयत्न करता है
@मीना गुलियानी
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