ओ प्यारी शाम
तेरा सुबह जब भोर का तारा निकलता है
तबसे मैं दरवाजे की चौखट पर बैठकर
रोज़ इंतज़ार करता हूँ पलक झपकते ही
कहीं खो न जाओ इसलिए खुली आँखों
के दीप जलाकर हमेशा प्रतीक्षारत रहता हूँ
तुम्हारे आने से हृदय परिवर्तन होता है मन
सपने बुनता हे चंदनी आती है लोरी गाती है
निंदिया भी थपकी देकर सुला जाती है फिर
मीठे सपनो में खो जाते हैं फिर भोर जगाती है
@मीना गुलियानी
तेरा सुबह जब भोर का तारा निकलता है
तबसे मैं दरवाजे की चौखट पर बैठकर
रोज़ इंतज़ार करता हूँ पलक झपकते ही
कहीं खो न जाओ इसलिए खुली आँखों
के दीप जलाकर हमेशा प्रतीक्षारत रहता हूँ
तुम्हारे आने से हृदय परिवर्तन होता है मन
सपने बुनता हे चंदनी आती है लोरी गाती है
निंदिया भी थपकी देकर सुला जाती है फिर
मीठे सपनो में खो जाते हैं फिर भोर जगाती है
@मीना गुलियानी
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