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सोमवार, 25 नवंबर 2019

ढूँढने निकले हैं


 ढूँढने निकले हैं खुशियों को
 जो कहीं खो गई हैं
 इन वीरान सी राहों में
 नीले आसमान के नीचे
 पथरीली चट्टानों में कहीं
 वो जाके सो गई हैं
 हमें उन्हें जगाना ही होगा
खोया ज़माना लाना ही होगा
ताकि हम फिर से वो पल
 पा सकें और मुस्कुरा सकें
 उन लम्हों को सहेजकर
 रखेंगे कहीं खोने न देंगे
 अपने से जुदा होने न देंगे
@मीना गुलियानी



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